एमपी के मनावर, उमरबन में हो रही सौंफ की बंपर पैदावार, 'सौंफ किंग' के नाम से हुआ प्रसिद्ध
एमपी के धार अंतर्गत आने वाले मनावर और उमरबन में सौंफ की बंपर पैदावार हो रही है। लोग अब इस क्षेत्र को सौंफ किंग के नाम से जानने लगे हैं। यहां पर बड़ी और बारीक दोनों तरफ के सौंफ की खेती की जाती है।
एमपी के धार अंतर्गत आने वाले मनावर और उमरबन में सौंफ की बंपर पैदावार हो रही है। लोग अब इस क्षेत्र को सौंफ किंग के नाम से जानने लगे हैं। यहां पर बड़ी और बारीक दोनों तरफ के सौंफ की खेती की जाती है। जिसे नोएडा, अहमदाबाद और मुंबई की मसाला उद्योग सहित दवाई फैक्ट्रियों में भेजा जा रहा है। अभी यहां नई सौंफ की आवक धीरे-धीरे शुरू हो रही है। उमरबन की सौंफ मंडी में फरवरी महीने में इसकी बंपर आवक होती है जिसकी खरीददारी करने के लिए भी बाहर से व्यापारी पहुंचते हैं।
6 लाख रुपए सालाना कमा रहे मुनाफा
सौंफ की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि पहले उनके द्वारा गेहूं, कपास जैसी पारंपरिक फसलों की खेती की जाती थी। जिसमें उन्हें ज्यादा मुनाफा नहीं मिलता था। किसानों की मानें तो आज पांच एकड़ में दस टन से ज्यादा सौंफ का उत्पादन किया जाता है जिससे उन्हें तकरीबन सालाना 6 लाख रुपए का मुनाफा प्राप्त हो रहा है। अच्छा खासा होने वाले मुनाफे के चलते मनावर और उमरबन इलाके में किसानों का इसके प्रति रुझान बढ़ता गया और सौंफ की खेती की जाने लगी।
सौंफ की खेती का उत्पादन कैसे बढ़ा
किसानों की मानें तो सौंफ की ज्यादा पैदावार लेने के लिए दो पौधों और दो क्यारियों के बीच की दूरी को बढ़ा दिया गया। पूर्व में दो क्यारियों के बीच दो से तीन फीट का गैप रखा जाता जिसे बढ़ाकर 7 फीट कर दिया गया। ऐसे में उत्पादन दोगुना हो गया। इसमें सिंचाई की भी जरूरत कम हो गई। किसानों की मानें तो सौंफ में ज्यादातर बीमारियां नमी, आद्रैता और ज्यादा पानी देने की वजह से होती हैं। क्यारियों की दूरी बढ़ाए जाने से सूर्य का प्रकाश फसलों को पूरी तरह से मिलने लगता है और नमी कम हो जाती है।
सौंफ की खेती कैसे करें
जून के महीने में कई चरणों में सौंफ की बुआई की जाती है। एक क्यारी में औसतन 150 से 200 ग्राम बीज डाला जाता है। एक एकड़ जमीन में 6 से 7 किलो बीज लगता है। इसके 45 दिन के बाद यानी जुलाई के अंत में सौंफ के पौधों को निकालकर दूसरे खेत में रोपने का काम किया जाता है। दो पौधों के बीच कम से कम एक फीट की दूरी रखनी होती है। इसकी फसल को बोने से पहले खेतों की सिंचाई की जाती है। उसके बाद 8 दिन और 33 दिन बाद सिंचाई की जानी चाहिए। जिसके बाद 12 से 15 दिन के अंतराल में सिंचाई किया जाना चाहिए।
सौंफ की कटाई कब करें
किसानों की मानें तो सौंफ के गुच्छे जब पूरी तरह तरह से पकने के साथ ही सूख जाएं तभी उनकी कटाई का उपयुक्त समय रहता है। काटने के बाद उसको एक-दो दिन धूप में सुखाना चाहिए। हरा रंग बना रहे इसके लिए 8 से 10 दिन तक छाया में इसे सुखाना चाहिए। इसके साथ ही यह भी ध्यान रखना चाहिए कि सौंफ के दानों में नमी न रहने पाए। 30 से 35 हजार रुपए की लागत एक एकड़ में सौंफ की खेती पर आती है।