आखिर शादी के पहले क्यों मिलाए जाते हैं 36 गुण? जान कर रह जाएंगे दंग!
हर माता-पिता की इच्छा होती है कि उनके बच्चों का वैवाहिक जीवन सुखमय और संपन्नता भरा व्यतीत हो।
हर माता-पिता की इच्छा होती है कि उनके बच्चों का वैवाहिक जीवन सुखमय और संपन्नता भरा व्यतीत हो। शास्त्रों में लोगों की यह इच्छा पूर्ण हो किसके लिए गुणों के मिलान का एक विधान किया गया है। मुहूर्त चिंतामणि नामक ग्रंथ में विवाह के पूर्व वर और कन्या के गुणों का मिलान किया जाता है।
36 गुणो का मिलान होता है शुभ
कुंडली में मौजूद 36 गुणो का मिलान बहुत ही शुभ बताया गया है। 36 के मिलान न होने पर अगर 18 या फिर 21 गुण मिलते हैं तो इसे भी मध्यम माना गया है। 18 गुणों के मिलान होने पर विवाह करना बताया गया है। वही अगर 17 गुण मिलते हैं तो विवाह न करने की बात कहीं गई है। अगर 18 से कम गुण मिलान करते हैं उसके बाद भी विवाह किया जाए तो वह सुख में नहीं रहता।
जानकारी के अनुसार बहुत ही कम लोग होते हैं जिनके 36 गुण मिलान करें। वैदिक लेखों में पाया गया है कि केवल भगवान राम और माता सीता के विवाह में 36 गुण मिलान करते थे। इसके अलावा किसी के 36 गुण मिलान नहीं करते।
कौन से हैं 36 गुण
विवाह के समय मिलान किए जाने वाले आखिर वह 36 गुण कौन से हैं आइए जाने। मुहूर्त चिंतामणि ग्रंथ के अनुसार विवाह के समय अष्टकूट गुण देखे जाते हैं। जिसमें वर्ण, वश्य, तारा, योनि, ग्रह मैत्री, गण, भकूट और नाड़ी शामिल है। इनके भी कई कई गुण होते हैं तब जाकर 36 गुण बनते हैं। वर्ण के 1 गुण, वश्य 2 गुण, तारा के 3 गुण, योनि के 4 गुण, ग्रह मैत्री के 5 गुण, गण के 6 गुण, भकूट के 7 गुण तथा नारी के 8 गुणो होने पर 36 गुण बनते हैं। इन गुणों के मिलान होने पर ही विवाह किया जाना चाहिए।
मांगलिक दोष का रखें ध्यान
कई जातकों की कुंडली में मंगल दोष होता है। यह दोष वर और कन्या दोनों की कुंडली में पाया जाता है। मुहूर्त चिंतामणि ग्रंथ में बताया गया है कि अगर दोष वाले वर या कन्या का विवाह मंगल दोष वाले कराया जाना चाहिए। अगर दूसरे ग्रह वाले से विवाह कराया जाता है तो वह जोड़ी ज्यादा दिन तक नहीं चलती। ऐसे में मांगलिक दोष के वर का विवाह मांगलिक दोष की कन्या से करवाना चाहिए।