मध्यप्रदेश उपचुनाव के दो बिंदु: सत्ता में वापसी के लिए संघर्ष, कुर्सी बचाने जोर-जुगत : MP NEWS
मध्यप्रदेश उपचुनाव के दो बिंदु: सत्ता में वापसी के लिए संघर्ष, कुर्सी बचाने जोर-जुगत : MP NEWS भोपाल (MP NEWS) । मध्यप्रदेश में हो रहे
भोपाल (MP NEWS) । मध्यप्रदेश में हो रहे उपचुनाव में दो मुख्य बिंदु ही सामने आ रहे हैं। पहला एक पार्टी सत्ता में वापसी के लिए संघर्षरत है तो दूसरी ओर कुर्सी बचाने की जोर आजमाइस चल रही है।
भाजपा के प्रत्याशियों से लेकर सत्तासीन नेताओं का एक ही मकसद है कि किसी तरह से भी फतल मिल जाये जिससे कुर्सी सलामत बनी रहे। तो दूसरी ओर कांग्रेस प्रत्यासियों सहित वरिष्ठ नेता सत्ता में वापसी के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। दोनों ही पार्टियों की नजर सत्ता की कुर्सी पर आसीन होने पर लगी है।
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डरी हुई है भाजपा
जिस तरह भाजपा के नेता एकजुट होकर प्रचार प्रसार में जुटे हैं उससे साबित होता है कि भाजपा चुनाव में जीत को लेकर सशंकित है और वह डरी हुई है। उसे दल-बदल की हवा कंपकपा रही है। यही कारण है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा एक साथ प्रचार की कमान संभाले हुए हैं।
जबकि उसे सत्ता बचाने के लिए दो-चार विधायकों की जरूरत है। हालांकि डर उसे ही होता है जिसके पास कुछ खोने के लिए होता है। जिसके पास खोने के लिए कुछ न हो उसे किस बात का डर होगा। भाजपा जोर जुगत से सत्ता में वापसी की है तो उसे बचाये रखने की चिंता सता रही है।
आत्मविश्वास में कांग्रेस
कांग्रेस के प्रत्याशी और नेता पूरे आत्म विश्वास के साथ मैदान में हैं। वह जनता के पास भी वोट मांगने पूरे हक पहुंच रहे हैं। कारण कि उनके पास खोने के लिए कुछ नहीं है, जो खोना था खो चुके हैं। अब वह पाने के लिए संघर्षरत हैं। कांग्रेस के प्रत्याशी और नेता आत्म विश्वास से लवरेज हैं। उन्हें भरोसा है कि जनता के बीच कुछ उनका वजूद कायम है। दल बदलुओं को जनता सबक सिखाएगी और वह सत्ता में वापसी करेंगे।
कांग्रेस को सत्ता में वापसी के लिए कम से कम 25 सीटों की जरूरत होगी। फिर भी उसे वापसी का भरोसा है। कांग्रेसियों का मानना है कि जनता ने चुनाव में बदलाव किया था और कांग्रेस को सत्ता की बागडोर सौंपी थी लेकिन दल बदलू नेताओं के कारण चुनाव की स्थिति निर्मित हुई है। ऐसे नेताओं को जनता सबक सिखाएगी।
संघर्ष के दो दिन शेष
उपचुनाव में प्रचार-प्रसार के लिए दो दिन शेष बचे हैं। 3 नवंबर को वोटिंग होनी है। मतदाताओं को कौन-कितना अपने पक्ष में कर पाता है यह मतगणना के बाद ही पता चल पाएगा। हालांकि वोट देना है और किसे नहीं देना है पहले ही मन मस्तिष्क में तय हो जाता है लेकिन अंतिम में कौन कितना प्रलोभन देकर मतदाता को अपने पक्ष कर लेता है उसका निजी मामला है। फिर भी मुकाबला कहीं कमजोर नहीं है।
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