मध्यप्रदेश: घटिया चावल मामले में मोदी सरकार ने शिवराज को घेरा, मचा हड़कंप, पढ़िए
भोपाल: घटिया चावल वितरण के मामले में शिवराज सरकार को बड़ा झटका लगने की आशंका जताई जा रही है। केंद्र की मोदी सरकार ने बालाघाट, मंडला और जबलपुर समेत प्रदेश के 10 जिलों में जानवरों को दिया जाने वाला चावल मिलने पर नाराजगी जताई है. सूत्रों की माने तो केंद्र सरकार राज्य को 200 करोड़ की राशि रोक सकती है. अगर ऐसा होता है तो इसका सीधा असर सरकार के राजकोष पर पड़ेगा.
माना जा रहा है अगर ऐसा हुआ प्रदेश को नुकसान उठाना पड़ सकता है. हालांकि अभी इस पर किसी तरह का कोई नोटिफिकेशन जारी नही हुआ है. ज्ञात है कि केंद्र सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय में डिप्टी कमिश्नर विश्वजीत हालदार ने चावल के 32 नमूनों की जांच में पाए गए पोल्ट्री ग्रेड चावल की रिपोर्ट उनके मंत्रालय को भी सौंपी है. इस पूरे मामले में राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट तलब भी की गई है. पूरे मामले की जांच होने के बाद दोषियों पर कार्रवाई होने तक केंद्र सरकार पैसे पर प्रतिबंध लगा सकती है।
मामले का हुआ था खुलासा?
मोदी सरकार ने कोरोना काल में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत सभी राज्यों में पीडीएस के जरिए गरीबों को मुफ्त वितरण करने के लिए राशन मुहैया कराया था. इस योजना के तहत मध्य प्रदेश के भी सभी जिलों में मुफ्त राशन वितरण किया गया. मंडला और बालाघाट में राशन पाने वाले हितग्राहियों ने चावल की गुणवत्ता को लेकर शिकायत की थी.
भारत सरकार के फूड एवं सिविल सप्लाई मिनिस्ट्री की टीम ने इन दोनों जिलों में गरीबों को वितरित किए गए चावल की गुणवत्ता की जांच की तो यह पोल्ट्री क्वॉलिटी (मुर्गे-मुर्गियों को चारे के रूप में दिए जाने योग्य) का निकला. चावल की गुणवत्ता परखने के लिए अभी तक 1021 सेम्पल लिए गए थे जिसमें 57 सैंपल अमानक पाए गए थे. इसके बाद शिवराज सरकार ने EOW से जांच कराने के आदेश दे दिए थे. सूत्रों की माने तो चावल घोटाले के अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ है.