मध्य प्रदेश: इस्लाम नगर नहीं जगदीशपुर के नाम से जाना जाएगा भोपाल का गांव
Islam Nagar Renamed As Jagdishpur: इस्लाम नगर का पुराना नाम जगदीशपुर ही हुआ करता था.
भोपाल न्यूज़: मध्य प्रदेश सरकार ने एक और गुलामी के प्रतीक वाले इलाके का नाम बदल दिया है. भोपाल शहर से 14 किमी दूर स्थित इस्लाम नगर गांव का नाम बदल दिया गया है. इस्लाम नगर का नया नाम जगदीशपुर होगा। हालांकि इसे नया नाम कहने से बेहतर पुराना नाम कहना सही होगा क्योंकी आज से 300 साल पहले इस्लाम नगर जगदीशपुर ही हुआ करता था.
पिछले 30 सालों से इसे आधिकारिक रूप से जगदीशपुर बनाने की कोशिश की जा रही थी, जिसके लिए समय-समय पर कोशिशें होती रहीं। लोगों का ऐसा मानना रहा कि जो जगदीशपुर कभी मुगल आक्रांताओं के धोखे से खून में लाल होकर इस्लाम नगर हुआ उसका नाम जगदीशपुर हो जाए तो वही बेहतर है।
नाम बदलने में 30 साल लग गए
DB की रिपोर्ट अनुसार 1993 में सबसे पहले इस्लाम नगर का नाम वापस जगदीशपुर करने का प्रतिवेदन बनाया गया था. इसमें कहा गया था कि खुद गांव वाले इस जगह का नाम बदलना चाहते हैं. यह मांग सिर्फ हिन्दू नहीं बल्कि क्षेत्रीय मुसलमान भी कर रहे थे. इसके बाद साल 2008 में भी इस संबंध में एक प्रस्ताव को राज्य सरकार ने सहमति दी थी लेकिन तब कॉन्ग्रेस की यूपीए सरकार से इसके लिए एनओसी नहीं मिल पाई। 2014 में फिर केंद्र से एनओसी माँगी गई और 2021 में जाकर गृह मंत्रालय की ओर से सितंबर में एनओसी जारी कर दी गई। इसी क्रम में अब इस्लाम नगर का नाम जगदीशपुर किया गया।
जगदीशपुर का नाम इस्लाम नगर कैसे हुआ था
जगदीशपुर में 11वीं सदी के परमार कालीन मंदिर के पत्थर मिलते हैं, इसके अलावा यहाँ एक गोंड महल भी है। गोंड शासन के बाद इस जगह पर राजपूतों का राज रहा। मगर सन 1715 में औरंगजेब के सैनिक दोस्त मोहम्मद खान' ने एक घटिया षंडयंत्र रचा. उसने जगदीशपुर के राजा देवरा चौहान के आगे मित्रता का हाथ बढ़ाया गया, फिर उन्हें बेस नदी के किनारे भोज पर निमंत्रण दिया गया।
जब राजा ने ये निमंत्रण स्वीकारा तो दोनों तरफ के 16-16 लोग बेस नदी के किनारे भोज पर मिले। खाना आरंभ हुआ तभी दोस्त मोहम्मद खान पान खाने के बहाने वहाँ से निकला और टेंट काटकर उन सभी लोगों का गला रेत डाला जो वहाँ बैठकर भोज कर रहे थे। इस तरह दोस्त मोहम्मद खान ने जगदीशपुर पर कब्जा किया और उसका नाम इस्लामनगर कर दिया गया।
दोस्त मोहम्मद खान ने राजपूतों पर वार किया तो उनके खून से एक नदी लाल हो गई थी और उसके बाद से उसका नाम हलाली नदी (Halali Damn) पड़ गया।