मध्यप्रदेश में CONGRESS ने BJP नेता को एक साल में दो बार पार्टी जॉइन करा दी
मध्यप्रदेश. यहां विधानसभा के उपचुनाव होने हैं. उससे पहले BJP और CONGRESS, दोनों एक-दूसरे के नेताओं को अपने पाले में करने के लिए हर तरह के हथकंडे अपना रही हैं. 15 साल बाद सत्ता में आई कांग्रेस ने 15 महीने में ही सरकार गंवा दी, क्योंकि सिंधिया गुट के विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था. उसके बाद राज्य में बीजेपी की सरकार बन गई. हालांकि उसके बाद भी कांग्रेस विधायकों का बीजेपी में जाना रुक नहीं रहा है. 12 दिनों के अंदर तीन विधायक इस्तीफा देकर बीजेपी में जा चुके हैं.
उपचुनाव से बाजी पलटने का सपना देख रही कांग्रेस को झटका लगा है. ऐसे में उपचुनाव से पहले कांग्रेस करे, तो क्या करे? गुरुवार, 23 जुलाई को बीजेपी के एक पूर्व मंत्री और एक साल पहले ही कांग्रेस की सदस्यता ले चुके नेता को फिर से कांग्रेस में शामिल कराया गया है.
बीजेपी नेता और पूर्व मंत्री केएल अग्रवाल ने अपने साथियों के साथ भोपाल स्थित प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में कांग्रेस की सदस्यता ली. पूर्व सीएम और पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ ने उन्हें सदस्यता दिलवाई.‘इंडियन एक्सप्रेस’ की खबर के मुताबिक, 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान तत्कालीन कांग्रेसी नेता और गुना से सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की मौजूदगी में भी अग्रवाल ने कांग्रेस की सदस्यता ली थी.
मैंने 2019 के लोकसभा चुनाव में सिंधिया को औपचारिक रूप से समर्थन दिया था, लेकिन कांग्रेस में शामिल नहीं हुआ था. एमपी में कांग्रेस की सरकार थी. मुझे लगा कि सिंधिया जीतेंगे और मुझे बामोरी का विकास करने में मदद मिलेगी, लेकिन वह हार गए. वह एक कमजोर व्यक्ति हैं. वो अपनी हार बर्दाश्त नहीं कर पाए और बीजेपी में शामिल हो गए.
वहीं दूसरी ओर कमलनाथ के मीडिया को-ऑर्डिनेटर नरेंद्र सलूजा का कहना है कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि अग्रवाल एक साल पहले कांग्रेस में शामिल हुए थे.सिंधिया के विश्वासपात्र बीजेपी नेता पंकज चतुर्वेदी का कहना है कि वह उस कार्यक्रम में शामिल हुए थे, जिसमें अग्रवाल लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हुए थे. सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद, चतुर्वेदी ने भी पाला बदल लिया था. उन्होंने पूछा-वह (अग्रवाल) पहले से ही कांग्रेस में थे. वह फिर से पार्टी में क्यों शामिल हुए?
केएल अग्रवाल शिवराज सिंह चौहान की कैबिनेट में मंत्री रह चुके हैं. 2013 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी उम्मीदवार के रूप में हारने के बाद, उन्होंने 2018 का चुनाव गुना जिले के बामोरी निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय लड़ा था, क्योंकि बीजेपी ने उन्हें टिकट देने से इनकार कर दिया था.हाल ही में कांग्रेस के तीन विधायकों के इस्तीफे के बाद कांग्रेस के अब 89 विधायक हैं. बीजेपी के 107. अन्य और निर्दलीय सात विधायक हैं, जबकि 27 सीटें खाली पड़ी हैं. जिन 27 सीटों के लिए उपचुनाव होने हैं, उनमें से दो सीट विधायकों के निधन से खाली हुईं, जबकि 25 ने खुद ही अपनी सदस्यता छोड़ दी है. 22 विधायकों ने कांग्रेस सरकार गिराने के लिए पहले इस्तीफा दिया था, तीन विधायकों ने अभी दिया है.[रीवा से विपिन तिवारी की रिपोर्ट]