भोपाल का बड़ा तालाब डूबा, पानी-पानी हुआ भोपाल, मचा हाहाकार
भोपाल: राजधानी में बारिश कहर बनकर बरसी। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र तक पानी-पानी नजर आया। घुंसी, कलियासोत और कोलांस नदी में पानी का बहाव तेज होने के कारण गांवों में बाढ़ के हालात बन गए। इस दौरान बाढ़ से बचने के लिए लोगों ने छत व पेड़ों में चढ़ कर रात गुजारी। झागरिया नाले में कार बहने से चार लोग फंस गए थे।
सूचना मिलने के बाद एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों ने छान एवं पिपलिया धाकड़, खजूरी सड़क और ईटखेड़ी सहित अन्य स्थानों पर फंसे करीब 85 लोगों को रेस्यू कर बचाया। इधर, कलियासोत नदी के अचानक गेट खोलने के बाद कोलार स्थित दामोड़ा की 30 से अधिक झुग्गियां पूरी तरह डूब गई, वहीं सौ से अधिक घरों में पानी भर गया। यहां पर कोलार प्रशासन का बड़ा फेलियर सामने आया है। मौसम विााग के अलर्ट के बाद भी प्रशासन ने यहां किसी तरह की व्यवस्था नहीं की थी।
घुंसी नदी में बाढ़ आने के कारण छान गांव में पानी भर गया था। गांव के हरिनारायण कीर और उनके बच्चे जानवरों के साथ रात से वहां पर फंस गए थे और पेड़ में बनी मचान में बैठ कर जान बचाई। कीर के दो बच्चे सुबह तैर कर बाहर आ गए, लेकिन तीन लोग इसके बाद भी फंसे हुए थे। जिला प्रशासन की तरफ एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम ने करीब दो घंटे चली मशकत के बाद सभी को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। इस दौरान प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा भी मौके पर मौजूद रहे। पीडि़त हरिनारायण कहते हैं कि उनका परिवार तो बच गया, लेकिन अब न तो कपड़े हैं और न ााने को कुछ है। सुबह विधायक, तहसीलदार सहित कई अफसर आए थे, व्यवस्था का आश्वासन भी दिया, लेकिन आी तक किसी भी तरह की मदद नहीं मिली।
दिन में सबसे ज्यादा 8.3 इंच पानी गिरा था। सड़कों पर पानी ारने से लोगों को बाहर निकालने नाव तक चलाना पड़ी। इंदौर के यशवंत सागर बांध में क्षमता से अधिक पानी होने से इसके 6 गेट खोल दिए गए। इंदौर में इस दौरान होमगार्ड की टीम ने रेस्यू कर चार घंटे के भीतर महिला और बच्चों सहित कुल 58 लोगों को वहां से बाहर निकाला। सोनकच्छ में कालीसिंध नदी उफान पर: देवास जिले में लगातार बारिश से कालीसिंध नदी उफान पर आ गई है। इस कारण इंदौर-भोपाल हाईवे पर बने पुल पर पानी लगातार तेजी से बढ़ रहा है। नदी किनारे मौजूद मंदिर आधे से ज्यादा डूब गए हैं। वहीं इंदौरभोपाल हाईवे स्थित अरनिया गांव से निकले वाली लोदरी नदी में 30 से ज्यादा मवेशी जंगल की ओर से बहकर आए हैं। ये मवेशी तेज बहाव में तैरकर खुद को बचाने की कोशिश में लगे रहे।