कच्चे तेल की बढ़ती कीमत के यह हैं प्रमुख कारण, जानें..
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी ने ऐलान किया कि उनके सदस्य कच्चे तेल की सप्लाई इमरजेंसी रिजर्व से बढ़ाएंगे। एजेंसी के अनुसार, इस फैसले से कच्चे तेल की कीमतों पर नियंत्रण किया जा सकता है। यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे विवाद के कारण क्रूड की सप्लाई पर बहुत बुरा असर हो रहा है। जिसके चलते कच्चे तेल की कीमतें $100 प्रति बैरल के स्तर के ऊपर चल रही हैं। वहीं, बीते महीने $100 प्रति बैरल के स्तर से ऊपर कीमतें बनी हुई थी। इससे पहले इसी हफ्ते अमेरिका ने भी अपने रणनीतिक भंडार से अगले 6 महीने के दौरान हर दिन 10 लाख बैरल तेल की सप्लाई करने का फैसला लिया है।
अमेरिका ने लिया फैसला
इसी हफ्ते अमेरिका ने अपने तेल रिजर्व में से अगले 6 महीने के दौरान 18 करोड बैरल कच्चे तेल की बाजार में सप्लाई करने का फैसला लिया है। फैसले के अनुसार, अगले 6 महीने तक अमेरिकी सरकार हर दिन 10,00000 बैरल तेल की सप्लाई बढ़ाएगी। यह अमेरिका के द्वारा रणनीतिक भंडारों में से की जाने वाली अब तक की सबसे बड़ी रिलीज होगी। पूरी दुनिया की यह सप्लाई 2 दिन की मांग के बराबर है। गोल्डमैन के हवाले से रॉयलटर्स ने लिखा है कि यह सप्लाई तेल बाजार को फिर से संतुलित करने में सहायता करेंगी। लेकिन यह कोई स्थाई हल नहीं है। उम्मीद जताई जा रही है कि इस अवधि के दौरान ओपेक देश अपना उत्पादन और बढ़ाएंगे। वहीं, ईरान भी अपनी सप्लाई के साथ बाजार में उतर सकता है।
रूस दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश
सदस्य देशों के मंत्रियों की बैठक में सप्लाई बढ़ाने का फैसला लिया गया था। एजेंसी में यह जानकारी अभी तक नहीं दी कि एजेंसी के सदस्य देश कितना अतिरिक्त तेल बाजार में रिलीज करेंगे। एजेंसी के अनुसार, अगले हफ्ते इसकी जानकारी भी सामने रखी जाएगी। इससे पहले मार्च के महीने में एजेंसी में शामिल 31 सदस्य देशों ने 6.2 करोड़ बैरल तेल की सप्लाई करने का फैसला किया था। उसके बाद शुक्रवार को हुई बैठक में एजेंसी ने कहां, कि सदस्य देशों ने देखा है कि युद्ध के कारण तेल की कीमतों में तेज उतार-चढ़ाव हो रहा है। दुनिया में तीसरे स्थान पर तेल का सबसे बड़ा उत्पादक देश रूस है। जो अपने उत्पादन का करीब 30% हिस्सा यूरोप और 20% हिस्सा चीन को भेजता है।