श्रीलंका में रावण के पुष्पक विमान पर शोध फिर से शुरू, लोगों को विश्वास है कि रावण दुनिया का पहला पायलट था
Ravana's Pushpak Viman: श्री लंका और भारत का हज़ारों सालों से नाता है, दोनों देशों की संस्कृति, भाषा और जीवनशैली भले ही अलग हो लेकिन सभ्यता और इतहास एक ही है। श्रीलंका में एक बार फिर से रावण के पुष्पक विमान की खोज शुरू हो गई है। वहां के लोगों को यह विश्वास है की रामायण में जिस पुष्पक विमान का ज़िक्र किया गया था वो कोई मिथक नहीं बल्कि सचाई थी। और उस जमाने में श्रीलंका के अंदर कई हवाई पट्टी और विमान हुआ करते थे और रावण दुनिया का पहला पायलट था।
दो साल पहले उड्डयन एक्सपर्ट्स, रिसर्चर, वैज्ञानिकों और पुरातत्वविदों ने कोलम्बों में एक बैठक का आयोजन किया था जिसमे रावण के पुष्पक विमान के विचार का मुद्दा उठाया गया था। कोरोना काल में इसके लिए चल रही रिसर्च को रोकना पड़ा था। वहीं श्रीलंका की सरकार भी इस रिसर्च के पक्ष में है। मन इस बात को मजबूती के रखा गया था कि। श्री लंका से रावण अपने पुष्पक विमान के ज़रिए भारत आया था और वापस श्री लंका भी गया था।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
प्राचीन इतिहास में दिलचस्पी रखने वाले शशि श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उनका कहना है कि रावण कोई मिथक चरित्र नहीं है वो एक वास्तविक राजा थे जो श्रीलंका में रहते थे और उनके पास असली में एयरपोर्ट और ऐरोप्लेन थे, जिसे पुष्पक विमान कहा जाता है। वो विमान भले ही आज के हवाई जहाजों की तरह नहीं थे लेकिन उस वक़्त भारत और श्रीलंका के पास विमान बनाने की तकनीक थी। शशि कहते हैं की इस रिसर्च में भारत को भी शामिल होना चाहिए, यह दोनों देशों के इतिहास के गौरव के लिहाज से महत्वपूर्ण है।
रावण के नाम से अंतरिक्ष में एक उपग्रह है
भारत में भले ही कुछ बुद्धिजीवी और नेता भगवान श्री राम के अस्तित्व और रामायण को सिर्फ एक कहानी बताते हैं लेकिन श्रीलंका के रहने वालों को पूर्ण रूप से विश्वास है कि रामायण और इससे जुड़े पात्र काल्पनिक नहीं बल्कि सच्चाई है। श्रीलंका ने अंतरिक्ष में रावण के नाम एक उपग्रह भी भेजा है।