उइगर मुसलमान कौन हैं, चीन Uyghur Muslims के साथ क्या करता है? इस्लामिक देश चीन के खिलाफ कभी नहीं जाते
इस्लामिक देशों का डर्टी गेम: यूनाइटेड नेशन ने उइगर मुसलमानों के नरसंहार को लेकर चिंता जताई है और चीन को इसका जिम्मेदार बताया गया। चीन उइगर मुसलमानों के साथ कैसा बर्ताव करता है यह जानकर पूरी दुनिया हैरान हैं. ज़रा की बात में इस्लाम के नाम पर भड़क जाने वाले मुस्लिम देश चीन के खिलाफ एक शब्द नहीं बोल पाते हैं. यह वही इस्लामिक मुल्क हैं जो खुद को पूरी दुनिया के मुसलमानों का रखवाला कहते हैं.
भारत में नूपुर शर्मा ने प्रोफेट मुहम्मद के बारे में वही कह दिया जो इस्लाम की किताब में लिखा है तो बवाल हो गया, हिंदुस्तान के मुसलामनों से लेकर दुनियाभर के इस्लामिक देशों ने इसका बखेड़ा खड़ा कर दिया, इस्लामिक देश सोचते हैं कि वो दुनिया के सभी देशों में रहने वाले मुसलमानों और इस्लाम मजहब के ठेकेदार हैं, लेकिन उनकी यही ठेकेदारी तब कहां चली जाती है जब बात चीन और उइगर मुसलमानों की होती है?
चीन इस दुनिया का एकलौता ऐसा देश है जो ना सिर्फ जानवरों बल्कि इंसानों का दुश्मन है, चीन में हर साल हज़ारों उइगर मुसलमानों को मार डाला जाता है, उनके ऑर्गन्स बेच दिए जाते हैं, चीनी सरकार ने 10 लाख मुसलमानों को अपनी कैद में रखा है इसकी वजह सिर्फ इतनी है कि वो मुस्लमान हैं. लेकिन खाड़ी देशों ने कभी चीन की आलोचना नहीं की, ना कभी कहा कि चीन मुसलमानों के अधिकार का हनन न करे, जबकि चीन ऐसा देश है जो इस्लाम और इस्लामिस्ट दोनों से नफरत करता है।
भारत में कोई इस्लाम के खिलाफ बोल बस दे तो दुनियाभर के मुसलमान और इस्लामिक देशों के अलावा इस्लामिक आतंकी हमला करने की धमकी देने लगते हैं, लेकिन चीन की तारीफों के पुल बांधे जाते है. आइये समझते हैं कि इस्लामोफोबिया में भारत से दुश्मनी और इस्लामिक देशों का चीन से प्रेम का डर्टी गेम क्या है?
चीन उइगर मुसलमानों के साथ क्या करता है
- चीन के शिनजियांग में लाखों उइगर मुसलमानों को यातनाए दी जाती हैं, जबक आप यह खबर पढ़ रहे होंगे तबतक किसी मुस्लमान का शरीर फाड़कर उसके ऑर्गन्स निकाल लिए गए होंगे।
- 2014 के बाद चीन ने 10 लाख से ज़्यादा मुसलमानों को नज़रबंद करके कैद कर रखा है, और इंटरनेशनल ब्लैक मार्केट में उनके ऑर्गन्स बेच रहा है.
- साल 2017 के बाद से अबतक शिनजियांग में चीनी सरकार ने 16 हज़ार से ज़्यादा मस्जिदों को नष्ट कर दिया है, 2017 से पहले कितनी मस्जिदों को खत्म किया है इसका कोई आंकड़ा नहीं है
- चीनी पुलिस और सेना उइगर मुस्लिम महिलाओं का रेप करते हैं, बच्चियों को किडनैप करते हैं और कम उम्र के बच्चों को मजदूर बनाते हैं और जवान व बुजुर्गों को या तो मार देते हैं या फिर हमेशा के लिए जेल में डाल देते हैं
- साल 2015-18 तक चीन में मुसलमानों की बर्थ रेट 60% तक कम हो गई है, इसके बाद कितनी कम हुई कुछ पता नहीं है
उइगर मुस्लिम कौन है
- उइगर चीन के शिनजियांग में रहने वाले मुसलमानों को कहा जाता है, यहां इनकी आबादी सिर्फ 1.20 करोड़ ही बची है जो साल दर साल कम होती जा रही है, मानवाधिकार संगठनों का दावा है कि चीन ने 10 लाख मुसलमानों को बेवजह कैद किया है और उनके जरिये वो ह्यूमन ट्रैफिकिंग का बिज़नेस करता है.
- पिछले साल ब्रिटेन के स्काई न्यूज़ ने खुलासा किया था कि चीनी सरकार वहां रहने वाले मुसलमानों के मुंह में पाइप घुसेड़कर उनके हाथ-पैर बांध देती है जिसके बाद वो कई दिनों तक भूखे-प्यासे रहने के बाद मर जाते हैं.
- चीन ने सिर्फ सल 2017 में 16 हज़ार मस्जिदों को गिरा दिया था, 2019 में मुसलमानों की जन्म दर 24% कम कर दी थी, 2014 में 630 इमामों और मुस्लिम लीडर्स को बिना किसी कारण के गिरफ्तार कर लिया था, वो इमाम कहां हैं जिन्दा है कि मर गए कुछ नहीं पता.
चीन में बुरका और दाढ़ी नहीं रख सकते
चीन में मुसलमानों को दाढ़ी रखने की इजाजत नहीं है, ऐसा कोई करता है तो उसकी दाढ़ी सरेआम कटवा दी जाती है और बाद में कैद कर लिया जाता है, यहां रहने वाली मुस्लिम महिलाऐं तो रेप का सामना करती ही हैं और बुरखा पहनी दिख जाएं तो उनकी खैर नहीं होती।
मुसलमानों पर चीन की प्रताड़ना का समर्थन करते हैं इस्लामिक देश
मुस्लिमों के प्रति चीन से ज़्यादा अत्याचारी शायद की कोई देश है, जहां उन्हें चैन से जीने की आज़ादी तक नहीं है, फिर भी वही मुस्लिम देश जो खुद को मुसलमानों और इस्लाम का ठेकेदार कहते हैं वो चीन का समर्थन करते हैं.
चीन उइगर मुसलमानों के खिलाफ एक ग्लोबल कम्पैन चलाता है, जिसका न सिर्फ मुस्लिम देश समर्थन करते हैं बल्कि उसके अत्याचार को भी सही ठहराते हैं. अरब देशों जैसे सऊदी अरब, मोरक्को, सीरिया, करत, UAE, मिस्र खुद चीन के कहने पर उइगर मुसलमानों को कैद करते हैं. अरब देशों ने 2002 में चीन के कहने पर 292 मुसलमानों को गिरफ्तार कर चीन को सौंप दिया था, 2017 में 200 मुसलमानों को मस्जिद तक से उठा ले गए थे जो मिस्त्र यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट थे.
चीन उइगर मुसलामनों के खिलाफ क्यों है
चीन का मानना है कि यहां बहुसंख्यक मुसलमानों ने उसके देश का वातावरण खराब किया है, इसी लिए वह आतंकवाद और चरमपंथ को रोकने के लिए झूठा प्रोपोगेंडा चलाता है, इसके ठीक उलट मार्च 2019 में मुस्लिम देशों और इस्लामिक संगठन OIC ने चीन की मुस्लिम नागरिकों की देखभाल के लिए तारीफ के पुल बांध दिए थे.
सऊदी अरब कई बार उइगर मुसलामनों पर किए जा रहे चीन के अत्याचारों का खुलेआम समर्थन करता नज़र आता है, साल 2019 में सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों के खिलाफ चीन की कार्रवाई का आतंक और चरमपंथ के खिलाफ कार्रवाई बताते हुए समर्थन किया था।
सिर्फ तुर्की चीन के खिलाफ
4 दर्जन से ज़्यादा मुस्लिम देश तो चीन को तेल लगाते हैं लेकिन सिर्फ तुर्की ने एक बार 2009 में उइगर मुसलमानों के प्रति चीन की हिंसा का विरोध किया था, लेकिन चीन ने तुर्की को डांट-फटकार के चुप करा दिया था.
म्यामार पर सभी मुस्लिम देश हावी हो गए थे
जब साल 2017 में म्यामार की जनता ने रोहंगिया मुसलमानों को भगा दिया था, तब यही इस्लामिक देश म्यांमार के खिलाफ जंग छेड़ने वाले थे, क्योंकि वो कमजोर देश है, लेकिन जब चीन की बात आती है तो यही मुस्लिम देशों की बुद्धि खुल जाती है.
इस्लामिक देशों का चीन प्रेम सिर्फ एक डर्टी गेम
चीन ने अबतक लाखों उइगर मुसलमानों को खत्म कर चुका है और लगातार करता आ रहा है, एक दिन ऐसा आएगा कि चीन में मुसलमान नज़र ही नहीं आएंगे और कोई मुस्लिम देश चु-चा नहीं करेगा, पता है क्यों? क्योंकि चीन ने मुस्लिम देशों के मुंह में इन्वेस्टमेंट का ताला जड़ दिया है
चीन ने 50 मुस्लिम देशों में 400 अरब रुपए मतलब 31 लाख करोड़ रुपए , 600 प्रोजेक्ट में इन्वेस्ट किए हैं ,मध्य एशिया एयर पूर्वी एशिया के कई मुस्लिम देश चीन के BRI प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं. मुस्लिम देश चीन के गुलाम हैं उसके रहमो करम में पल रहे हैं.
तो ऐसा नहीं है कि OIC और इस्लामिक देश पूरी दुनिया के मुसलमानों के लिए बेहद चिंतित हैं, चिंतीत होते तो चीन के खिलाफ जंग छेड़ चुके होते, बात सिर्फ पैसों और प्रॉफिट की है, जहां फायदा है उसका विरोध नहीं करते,
ऐसे ही भारत के मुस्लिम भी फलीस्तीन और लीबिया के मुसलमानों के लिए आंसू बहाते हैं, रोहंगिया को अधिकार देने की बातें करते हैं लेकिन चीन के उइगर मुसलमानों को लेकर कुछ नहीं बोलते।
130 करोड़ की आबादी वाले देश में 1 राजनेता ने इस्लाम के संस्थापक के बारे में कुछ कह दिया तो उसका गला काटने पर इनाम रख दिया, हिंसा करना शुरू कर दी गई, माफ़ी की डिमांड होने लगी,
नूपुर शर्मा ने वही कहा तो इस्लामिक किताब में लिखा है तो बवाल क्यों, और जो नूपुर शर्मा ने कहा वो तो मुस्लिम स्कॉलर और भगोड़े जाकिर नाइक ने भी कहा है तो उसे कोई क्यों कुछ नहीं कहता? क्योंकि वो हैंडसम है इस लिए?