जलवायु परिवर्तन का बुरा असर पड़ रहा है पक्षियों पर, शरीर से बड़े हो गए पंख
Climate Change Effects On Birds: हमारी पृथ्वी पूरे ब्रह्मांड में मात्र एक ही है जहां सारे जीव जंतु अपना जीवन यापन कर सकते हैं। मगर एक वैश्विक समस्या पूरे विश्व को परेशान कर रही है जिससे हम मानवों ने ही उत्पन्न किया है और वह है जलवायु परिवर्तन, जलवायु परिवर्तन का प्रभाव हमें वातावरण में तो नजर आ ही रहा है साथ ही साथ मानव में भी इसके बुरे प्रभाव दिख रहे हैं। मगर अब वैज्ञानिकों के द्वारा जारी की गई रिपोर्ट से यह पता चला है कि जलवायु परिवर्तन से पक्षियों पर भी बहुत बुरा असर पड़ रहा है जिसके कारण पक्षियों का शरीर छोटा और उनके पंख लंबे हो रहे हैं।
जलवायु परिवर्तन पर विश्व में कई वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं तथा उससे होने वाली दूरप्रभाव पर भी शोध कर रहे हैं इस शोध के परिणाम स्वरुप कैलिफोर्निया के इंटीग्रल इकोलॉजी रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिकों की रिसर्च में सामने आया कि बढ़ते तापमान के कारण पक्षियों की प्रजातियों के शरीर में बदलाव हो रहे हैं। शरीर छोटा हो रहा है और पंख लम्बे हो रहे हैं।
इस शोध से वैज्ञानिकों ने इसके पीछे के कारण को भी उजागर किया है वैज्ञानिकों के अनुसार पक्षियों को जलवायु परिवर्तन का एहसास हो चुका है और ऐमेज़ॉन जंगल के पक्षियों पर शोध पर यह खुलासा हुआ कि पक्षी वातावरण के बढ़ते तापमान से बचने के लिए उनके शरीर में यह परिवर्तन प्राकृतिक रूप से उभर रहा है जिससे उनका शरीर छोटा हो रहा है ताकि उन्हें गर्मी से राहत मिले तथा लंबे पंख से उन्हें उड़ान भरने की सुविधा प्रदान कर रहें हैं।
शोधकर्ताओं ने रिपोर्ट में यह खुलासा किया है कि जलवायु परिवर्तन से 1980 के बाद पक्षियों के वजन में 20% की कमी आई है और वैज्ञानिकों ने चिंता जताते हुए या बताया है कि भविष्य में तापमान की वृद्धि से यह कहना मुश्किल है कि कितनी प्रजातियां अपने आप को सुरक्षित रख सकेंगे।
शोध के परिणाम में यह सामने आया है कि एमेजन के जंगल के कुल 77 पक्षियों की प्रजातियों पर यह शोध किया गया था जिसका नतीजा यह आया है कि उन सभी पर जलवायु परिवर्तन के खतरनाक प्रभाव देखे गए सबसे अधिक जलवायु परिवर्तन का प्रभाव इन पक्षियों पर देखने को मिला है जिसमें गोल्डन क्राउन्ड स्पेडबिल, द ग्रे एंटव्रेन, मैककॉनेल्स फ्लायकैचर, डस्की थ्रोटेड एंटश्राइक शामिल है। अगर जल्द ही इनके लिए कुछ बड़े कदम नहीं उठाए गए तो यह भी पर्यावरण से गायब हो जाएंगे।