QR Code कैसे काम करता है, क्या रिस्की भी हो सकता है इनका इस्तेमाल

QR Code या Quick Response code का इस्तेमाल हम अकसर ऑनलाइन पेमेंट वगैरह के वक्त करते हैं, लेकिन इनके इस्तेमाल का दायरा लगातार बढ़ रहा है.
पिछले दो सालों में आपको कई जगहों पर क्यूआर कोड का दखल दिखा होगा.
आपने बाजार में प्रॉडक्ट्स पर बारकोड लगे हुए देखे होंगे. एक तरह से कह सकते हैं कि बारकोड और क्यूआर कोड आपस में भाई-भाई हैं.
बेसिकली क्यूआर कोड डिजिटल इन्फॉर्मेशन स्टोर करने वाले बारकोड होते हैं, जिन्हें स्कैन करके वो इन्फॉर्मेशन देखी जा सकती है.
क्यूआर कोड में न्यूमेरिक और अल्फान्यूमेरिक कैरेक्टर्स, बाइट्स में जानकारी स्टोर होती है.
क्यूआर कोड में न्यूमेरिक और अल्फान्यूमेरिक कैरेक्टर्स, बाइट्स में जानकारी स्टोर होती है.
क्यूआर कोड एक सफेद बैकग्राउंड काले-काले निशान नहीं होता है. इसके अपने कई पार्ट्स होते हैं.
क्यूआर कोड में डेटा मॉड्यूल, पोजीशन मार्कर्स, क्वायट जोन, लोगो जैसी कई चीजें छुपी होती हैं.
पोजीशन मार्कर्स क्यूआर कोड के ऊपरी दोनों कोनों में निचले बायें कोने में बने वर्ग होते हैं, ये स्मार्टफोन को यह बताने के लिए होते हैं कि स्कैनर कहां रखना है.
क्यूआर कोड का इस्तेमाल रिस्की नहीं है. ये बस डेटा स्टोर करने का टूल है, लेकिन इसका रिस्क वहां देखा जा सकता है जब आपका डेटा चुराने के लिए इसका इस्तेमाल फिशिंग के लिए हो रहा हो.
हैकर्स आपको मैलवेयर वाले लिंक्स स्टोर करके कोड भेज सकते हैं. आपने अगर इन्हें स्कैन किया और लिंक पर क्लिक किया तो आपको डेटा चोरी हो सकता है,
Author : Akash dubey
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