विंध्य

Vindhya Mountain Range: हिमालय से भी करोड़ों साल पुराना है विंध्य पर्वत, इसकी कहानी बड़ी दिलचस्प है

Abhijeet Mishra | रीवा रियासत
15 April 2023 5:00 PM IST
Updated: 2023-04-15 11:30:45
Vindhya Mountain Range: हिमालय से भी करोड़ों साल पुराना है विंध्य पर्वत, इसकी कहानी बड़ी दिलचस्प है
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Vindhya Mountain Range: जब भारत कोई देश नहीं जम्बू द्वीप था तब हिमालय जैसा कुछ था ही नहीं, लेकिन विंध्यांचल पर्वत का अस्तित्व था।

Vindhya Mountain Range: आज से 4 करोड़ साल पहले इस धरती में मानव जाति का कोई अस्तित्व नहीं था, भारत एशिया महाद्वीप का हिस्सा नहीं था बल्कि धरती के दक्षिण पश्चिम भाग में मौजूद एक द्वीप था जिसे जम्बू द्वीप और गोंडवाना लैंड कहा जाता है। उस वक़्त भारत का आकर भी वैसा नहीं था जैसा आज है। चारों तरफ सिर्फ समुद्र था, धीरे धीरे धरती के भूभागों को समुद्री पानी अपनी लहर के साथ बहाते ले गया और लाखों वर्षों में जम्बू द्वीप बहता हुआ एशिया महाद्वीप से जा टकराया। उसी जोरदार टक्कर से भारत का उत्तरी और चीन का दक्षिणी भूभाग हज़ारों फ़ीट ऊपर उठ कर विशालकाय हिमालय पर्वत का रूप ले लिया। नेपाल से केर अफ़ग़ानिस्तान तक हज़ारों किलोमीटर तक विशालकाय दीवाल कड़ी हो गई।

हिमालय से भी पुराना है विंध्य पर्वत


वैज्ञानिकों का मानना है कि हिमालय पर्वत श्रृंखला को बने सिर्फ 4 करोड़ साल हुए हैं जबकि विंध्य पर्वत धरती की शुरुआती संरचना या फिर पिछले 10 करोड़ साल से वजूद में है। यानी कि विंध्यांचल पर्वत तब से है जब भारत एशिया का उप द्वीप नहीं बल्कि जम्बू द्वीप हुआ करता था। जम्बू का अर्थ होता है जामुन का वृक्ष या फिर वृक्ष और द्वीप का अर्थ होता है भौगोलिक खंड। भौगोलिक विज्ञान में धरती की उत्पत्ति के बाद हुई घटनाओं में एक भाग था कॉन्टिनेंटल ड्रिफ्ट इस थ्योरी में ये बताया गया है कि पहले इस धरती में जितने भी भूखंड है वो एक ही थे मतलब सिर्फ एक महा द्वीप था और बाद में सब देश समुद्र की लहरों और भूकम्पों के कारण अलग होते गए।

विंध्यांचल की कहानी बड़ी दिलचस्प है


सनातन धर्म के ग्रंथों /वेदों और पौराणिक कथाओं में विंध्य पर्वत का अलग ही महत्त्व बताया गया है। इंडियन माइथोलॉजी के अनुसार एक बार हिमालय और विंध्य की लड़ाई हो गई जिसमे एक दूसरे की ये शर्त लगी की कौन सा पर्वत कितना ऊँचा उठ सकता है। इस शर्त के बाद दोनों पर्वत ऊँचा उठते गए और एक क्षण ऐसा आया की आधी धरती में सूर्य का प्रकाश पड़ना ही बंद हो गया। मनुष्यों में हड़कंप मच गया। लोगों ने देवताओं से प्रार्थना करनी शुरू कर दी। लेकिन दोनों पर्वतों ने गुरूर ने किसी को झुकने ना दिया।

अगस्त्य मुनि ने विंध्य को मनाया


जब देवताओं के कहने पर भी विंध्य नहीं माना तो सभी अगस्त्य मुनि की शरण में गए उनसे विनती की और कहा विंध्य तो आपका शिष्य है वो आपकी बात ज़रूर मानेगा। तब अगस्त्य मुनि विंध्य के पास गए. उन्हें देखते ही विंध्य ने कहा गुरुवर में आपकी क्या सेवा कर सकता हूं ,अगस्त्य मुनि जानते थे विंध्य पर्वत उनकी बात को कभी नहीं टालेगा, उन्होंने विंध्य पर्वत से कहा हे विंध्य मुझे दक्षिण प्रवास पर जाना है लेकिन तुम्हारे इस विशालकाय पर्वतों को में इस अवस्था में पार नहीं कर सकता, विंध्य अपने गुरु के आगे तब झुक गए और उन्हें दक्षिण जाने के लिए रास्ता दिया लेकिन अगस्त्य मुनि ने विंध्य से यह कह दिया कि जबतक मैं वापस ना लौटूं तुम ऐसे ही झुके रहना। विंध्य पर्वत मुनि अगस्त्य की आज्ञा का पालन करते हुए झुक गए लेकिन अगस्त्य मुनि कभी वापस लौटे ही नहीं। आज भी झुका हुआ विंध्य पर्वत अपने गुरु अगस्त्य मुनि का इंतज़ार कर रहा है।

विंध्य का अर्थ क्या है


विंध्य शब्द की उत्पत्ति 'विध' धातु से हुई है, धरती को चीरते हुए पाताल से निकला विंध्य पर्वत भारत के मध्य में स्थित है जो भारत की भौगोलिक संरचना को उत्तरी और दक्षिणी भाग में बांट देता है। इसी पर्वत में 51 शक्ति पीठों में से एक माँ विंध्यवासिनी देवी का निवास माना जाता है और मिर्जापुर में माँ का मंदिर भी है। माँ विंध्यवासिनी ने विंध्यांचल को अपना घर माना था। विंध्य पर्वत के बारे में रामायण, महाभारत जैसे धर्मग्रंथों में भी बताया गया है।

कहानी के पीछे विज्ञान है जो हम भूल गए


सनातन धर्म में धरती और ब्रम्हांड की उत्पत्ति से लेकर विनाश के बारे में बताया गया है। लेकिन आम मनुष्य इसके पीछे के विज्ञान को सीधा समझ नहीं सकता था इसी लिए उन महान घटनाओं को कहानियों में बदल दिया गया। भौगोलिक परिवर्तन और संसार के आरम्भ का मानवीकरण कर दिया गया। हम मनुष्यों ने उन कहानियों से साथ आगे बढ़ते गए और उसके पीछे के विज्ञान को पीछे छोड़ दिया। विंध्य पर्वत का हिमालय से भी ऊँचा होना और उसके बाद झुक जाने के पीछे भी कोई विज्ञान ही होगा जिसे हमे कहानी के माध्यम से समझाया गया है।

यहाँ सबसे ऊँचा है विंध्य


अमरकंटक में विंध्यांचल का हिस्सा सबसे ऊँचा है। यहाँ इस पर्वत की उचाई समुद्र तल से 3438 फ़ीट है , गुजरात से होते हुए मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश से झारखंड और बिहार तक विंध्यांचल पर्वत माला है..अमरकंटक में विंध्य की छटा अलग रंग बिखेरती है। वहीँ रीवा और सीधी जिले में भी विंध्यांचल पर्वत की खूबसूरती देखते बनती है।

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