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विश्वभर में निर्यात होती हैं 'रीवा में बनी सुपारी की कलाकृतियां', इंदिरा गाँधी तक थीं कला से प्रभावित
RewaRiyasat Special : सुपारी के खिलौनों (Betel Nut’s Toys) ने रीवा को राष्ट्रीय स्तर पर गौरव दिलाया है। यहां के कलाकारों की कलाकृतियां दूसरे राज्यों से लेकर विदेशों तक भेजी जा रही हैं। जिस तरह से रीवा में सुपारी के खिलौने बनाए जाते हैं वह दूसरे स्थानों में बहुत कम हैं। शहर के कुंदेर परिवार के कुछ लोगों के लिए यह चाहे भले ही जीवन यापन का एक जरिया हो लेकिन इससे रीवा की ख्याति भी जुड़ी है।
इन खिलौनों को गिफ्ट देने में इस्तेमाल किया जा रहा है। मांग इनकी इतनी अधिक है कि एक से अधिक की संख्या में जरूरत पडऩे पर एडवांस में आर्डर देना पड़ता है। शहर में आने वाले राजनेताओं और अन्य सेलीब्रिटी को भी यही भेंट किए जा रहे हैं। जिससे इनकी ब्रांडिंग भी हो रही है।
इसकी शुरुआत के संबंध में बताया जा रहा है कि राजघराने द्वारा सुपारी को पान के साथ इस्तेमाल करने के लिए अलग-अलग डिजाइन से कटवाने की शुरुआत की गई थी। उसी की डिजाइन बनाते-बनाते कलाकृतियां भी सामने आने लगीं। कुंदेर परिवार तीन पीढिय़ों से यह काम कर रहा है। इनका यह प्रमुख पेशा है। रीवा की पहचान सुपारी के खिलौने बन गए हैं।
इंदिरा गांधी कला से थीं प्रभावित