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चाणक्य नीति: सफलता एवं धन लाभ पाने हर व्यक्ति को करना चाहिए यह तीन काम
जीवन में हर कोई सफल होना चाहता हैं। हर कोई अपार धन कमाने की लालसा रखता हैं। लेकिन कठिन मेहनत के बावजूद जब उन्हें सफलता नहीं मिलती है तो वह यह नहीं समझ पाते है कि आखिर ईश्वर उनसे चाहता क्या है। ऐसे में चाणक्य बताते है कि जीवन को सफल एवं धन लाभ पाने के लिए क्या करना चाहिए। कैसे ईश्वर की उपासना करनी चाहिए।
चाणक्य अर्थशास्त्र, नीति शास्त्र के महान ज्ञाता था। उन्होंने मनुष्य के जीवन को सफल बनाने के लिए अपने नीति शास्त्र में हर बातों का विस्तार से उल्लेख किया हैं। ऐसे में चाणक्य अपने एक श्लोक के माध्यम से बताते हैं कि सफल होने के लिए मनुष्य को क्या करना चाहिए। किस तरह से ईश्वर की उन्हें उपासना करनी चाहिए।
चाणक्य अपने इस श्लोक के माध्यम से कहते है कि हर व्यक्ति को हांथ से गुथी हुई माला, हाथ से घिसा हुआ चंदन एवं हाथ से लिखी भगवान की स्तुति करनी चाहिए। जो मनुष्य इन सब बातों का उपयोग अपने जीवन में करता है वह इन्द्र की धन-सम्पत्ति को भी अपने वश में कर सकता है।
चाणक्य के कहने का तत्पर्य यह है कि ईश्वर की आराधना स्वयं करना चाहिए।
किसी दूसरे से कराने से उतना पुण्य लाभ नहीं मिलता है। आचार्य का साफ कहना है कि जिस तरह से भूख लगने पर किसी दूसरे के भोजन करने से पेट नहीं भरता है। ठीक उसी प्रकार किसी दूसरे द्वारा की गई पूजा-अर्चना से पुण्य लाभ की प्राप्ति नहीं होती हैं। ईश्वर की उपासना का फल आपको तभी मिलता है जब आप स्वयं करते हैं।
इसी तरह एक अन्य श्लोक में आचार्य ने सुखी जीवन जीने की बात का उल्लेख किया है। आचार्य कहते है कि जो व्यक्ति दूसरों के सुख से दुखी होता है वह कभी जीवन में सुख नहीं पाता हैं। इसलिए हमेशा अपने मन को स्थिर एवं कन्ट्रोल में रखना चाहिए। इंसान को कभी दूसरे के सुख से दुखी नहीं होना चाहिए। ऐसा करने से अपने आप जीवनभर दुखी रहेंगे। जीवन में सुख-समृद्धि चाहते तो मन पर कन्ट्रोल रखना बेहद जरूरी है।