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एमपी के उमरिया में चार साल पहले गुम हुआ था बच्चा, आधार कार्ड के जरिए अब परिवार से मिला
परिवार से बिछड़कर सतना पहुंचे मानसिक दिव्यांग को आधार कार्ड ने उसके परिवार से दोबारा मिलवा दिया। बीते चार साल से यह बच्चा बाल कल्याण समिति रीवा में फिर एक वर्ष बाद बच्चा इंदौर शिफ्ट हो गया था। मामला उमरिया जिले के पथरहटा गांव का है। जहां से गुमशुदा हुआ बच्चा कुछ महीने बाद सतना स्टेशन पर मिला किंतु मूक बधिर होने के कारण वह कुछ बोल नहीं पा रहा था।
परिजनों ने दर्ज करवाई थी गुमशुदगी
चार वर्ष पूर्व उमरिया जिले के पथरहटा गांव से ऋषभ नाम का बच्चा गुम हो गया था। जिसकी परिजनों द्वारा गुमशुदगी उमरिया कोतवाली थाना में दर्ज करवाई गई थी। परिजनों की मानें तो उसकी कई जगह खोजबीन की गई किंतु उसका कोई सुराग नहीं मिल रहा था। इस दौरान परिजन हताश होकर उसके मिलने की उम्मीद ही छोड़ चुके थे। ऋषभ कुछ महीने बाद सतना स्टेशन पर मिला। मूक बधिर होने के कारण वह अपनी जानकारी नहीं दे पा रहा था। मामले की जांच पड़ताल जब सतना जीआरपी ने की तो किशोर के संबंध में कुछ पता नहीं चल सका। जिसके बाद उसकी देखरेख के लिए रीवा बालगृह पहुंचाया गया। जिसके बाद बच्चे को इंदौर शिफ्ट कर दिया गया था।
गुम बच्चा पाकर छलक पड़े आंसू
बताया गया है कि जब ऋषभ सात वर्ष का था तब परिजनों ने उसका आधार कार्ड बनवाया था। कंप्यूटर मेमोरी में उसका फिंगर प्रिंट सेवा था। बालक कल्याण समिति इंदौर द्वारा ऋषभ का आधार कार्ड बनवाने की कोशिश की गई किंतु उसका फिंगर प्रिंट एसेप्ट नहीं हो रहा था। जिसके बाद अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग कर जब फिंगर प्रिंट मिलान किया गया तो सात साल पहले बनाए गए आधार कार्ड से उसके फिंगर प्रिंट मिल गए। जिसके बाद नाम और पते की सटीक जानकारी मिल सकी। आधार में लिखे गए मोबाइल नंबर पर संपर्क करने के बाद इस बात का खुलासा हुआ कि चार पहले ऋषभ गुम हो गया था। इस फोन ने उनकी उम्मीदों को पुनः जिंदा कर दिया। दो सप्ताह के इंतजार के बाद परिजनों को घर का चिराग उन्हें वापस मिल गया। चार साल बाद ऋषभ को देख परिजनों के आंखों से आंसू छलक पड़े। कानूनी कार्रवाई पूरी करने के बाद ऋषभ को उसके परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया है।