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इंदौर। एट्रोसिटी एक्ट में संशोधन के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ गुरुवार को शहर अभूतपूर्व बंद रहा। कारोबारियों ने स्वेच्छा से बाजार बंद कर दिए तो फैसले से नाराज युवा सड़कों पर उतरकर विरोध जताते रहे। इस भीड़ का नेतृत्व न कोई राजनीतिक दल कर रहा था न राजनेता। सोशल मीडिया पर सरकार के इस निर्णय के खिलाफ गुस्सा फूटा जिसने देखते ही देखते आंदोलन का रूप अख्तियार कर लिया।
नेताओं की राजनीति से नाराज लोग यह कहते नजर आए कि जिन मुद्दों का हल नहीं करना होता उन्हें सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर छोड़ दिया जाता है। जबकि एट्रोसिटी एक्ट के दुरुपयोग पर सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया तो सरकार को वोटों की इतनी चिंता हुई कि कानून बदलने पर आमादा हो गई।
एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के विरोध में सपाक्स समाज और करणी सेना ने गुरुवार को कलेक्टोरेट पर जमकर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प भी हुई। उनका कहना था कि मांगें नहीं मानी गई तो वे आगामी चुनाव में नोटा का उपयोग करेंगे। प्रदर्शन के मद्देनजर सुबह से पुलिस बल तैनात था। करणी सेना के कार्यकर्ता भी सुबह से विजय नगर चौराहे पर जुटने लगे थे। कार्यकर्ता रैली के रूप में एलआईजी, जंजीरावाला चौराहा, 56 दुकान, रीगल तिराहा, राजवाड़ा होते हुए हरसिद्धि पहुंचे। यहां सपाक्स समाज सहित अन्य संगठनों के लोग भी जमा हो गए। इसके बाद सभी कलेक्टोरेट पहुंचे, लेकिन पहले से तैनात पुलिसकर्मियों ने उन्हें मेन गेट पर रोक दिया। भगवा ध्वज लिए शंखनाद करते प्रदर्शनकारियों ने जमकर नारेबाजी की। कई बार गेट पर धक्का-मुक्की हुई।
कार्यकर्ताओं ने जबरदस्ती घुसने की कोशिश की। इस बीच पुलिस से तीखी बहस भी हुई। प्रदर्शनकारियों ने अंदर जाने के लिए छोटे गेट से घुसने की कोशिश की तो पुलिस ने उन्हें खदेड़ दिया। इससे आक्रोश बढ़ गया। ज्ञापन लेने एसडीएम शाश्वत शर्मा पहुंचे लेकिन प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि कलेक्टर खुद ज्ञापन लेने आएं। एसडीएम और पुलिस अधिकारी प्रदर्शनकारियों से मिलने तीन बार पहुंचे लेकिन वे हर बार कलेक्टर को बुलाने की मांग पर अड़े रहे। करीब एक घंटे प्रदर्शन के बाद कलेक्टर निशांत वरवड़े को आना पड़ा।
ज्ञापन देने के बाद करणी सेना के जिलाध्यक्ष ऋषिराजसिंह सिसोदिया और नगर अध्यक्ष अभिजित चौहान ने कहा कि एससी-एसटी एक्ट में हुए संशोधन को वापस नहीं लिया गया तो आंदोलन ज्यादा उग्र होगा। सपाक्स समाज इंदौर इकाई के अध्यक्ष जगदीश जोशी व कार्यकारी अध्यक्ष सतीश शर्मा ने बताया कि देशव्यापी बंद को शहर के 40 से अधक समाजों और सभी प्रमुख व्यापारिक संगठनों ने समर्थन दिया।
3 हजार मोबाइल, फेसबुक-टि्वटर अकाउंट की निगरानी
बंद के दौरान पुलिस ने मैदान के साथ बंद कमरे में बैठकर भीड़ का पीछा किया। दरअसल पुलिस ने आंदोलन की अगुवाई करने वाले नेताओं को पहले ही चिन्हित कर लिया था। उनके फेसबुक, टि्वटर सहित वाट्सएप ग्रुप को निगरानी में लिया गया था। एएसपी अमरेंद्रसिंह के मुताबिक सायबर एक्सपर्ट्स की टीम को तीन दिन पहले ही जिम्मा सौंप दिया गया था। पुलिस ने आंदोलन में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेने वाले कार्यकर्ता और भीड़ के लिए संदेश फैलाने वालों वाट्सएप ग्रुप में सेंध लगाई। उन्होंने जैसे ही भीड़ को चौराहे या उनके घर के सामने बुलाया टीम भी उनके पीछे-पीछे पहुंच गई। हालांकि किसी भी सोशल साइट्स पर उपद्रव या तोड़फोड़ जैसे मैसेज नहीं मिले थे।
सिटी और आई बस में यात्रियों की कमी
सपाक्स के आह्वान पर किए गए बंद के दौरान गुरुवार को बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन पर भीड़ नहीं रही। लोग नहीं पहुंचे तो लगभग 60 फीसदी बसें बंद रहीं। बाजार भी शांत रहे, जिससे आई बस और सिटी बसों में भी यात्रियों की संख्या कम रही। खंडवा, खरगोन, बड़वानी, धार सहित निमाड़ अंचल से बसें नहीं आईं। जो बसें यहां से रवाना हुईं, वे भी वहीं रह गईं। उज्जैन से सुबह कुछ बसें आईं लेकिन बाद में वे भी बंद हो गईं। स्कूल-कॉलेज बंद होने से 2500 से अधिक बसें भी नहीं चलीं। सामान्य पिछड़ा अल्पसंख्यक कल्याण समाज (सपाक्स) का समर्थन करने वालों द्वारा गुरुवार को जिला बंद की घोषणा के बाद दोपहर 12 बजे तक अधिकतर दुकानें बंद रहीं। हड़ताल के कारण कई लोगों ने अपनी यात्रा रद्द कर दी।
बस रोकने की कोशिश
उज्जैन से इंदौर आई जानकी तिवारी ने बताया कि सुबह से ही विरोध्ा कर रहे लोगों ने बसों को रोकना शुरू कर दिया था। रास्ते में भी कई लोगों ने बस रोकने की कोशिश की। माहौल देखकर डर लग रहा था।
सौ बसें ही रवाना हुईं : बस स्टैंड पर सीट बुक करने वाले लोकेंद्र उमरे ने बताया कि 10 से 15 फीसदी टिकट ही बिके। सवारी नहीं मिलने से कुछ बसों को रद्द करना पड़ा। सरवटे बस स्टैंड से लगभग 650 बसें चलती हैं। इनमें से 100 बसें ही रवाना हुई हैं।
लोग ही नहीं आए : बस एसोसिएशन के अध्यक्ष गोविंद शर्मा ने बताया कि सरवटे बस स्टैंड से लगभग 650, गंगवाल से 225 और तीन इमली से 165 बसें चलती हैं। कई बसें चली नहीं। जो चलीं, उनमें लोग नहीं थे। कुछ यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचाना था, इसलिए बस चलाना पड़ी।
जुलूस निकाला
एट्रोसिटी एक्ट पर समता विचार मंच के प्रदेश अध्यक्ष रामबाबू अग्रवाल ने कहा कि यह पक्षपात है। सवर्णों के बच्चों को भी शिक्षा और रोजगार का हक है। काली पट्टी बांधकर वासवानी गार्डन से जुलूस निकालकर विरोध जताया।
विरोध में मांगलिया बंद
एट्रोसिटी एक्ट के विरोध में हुए प्रदर्शन और बंद का असर मांगलिया में भी दिखा। यहां राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना और सर्व समाज ने मांगलिया बंद का आह्वान किया। मांगलिया में सभी व्यापारियों ने बंद का समर्थन किया।
भगवा झंडे के साथ विरोध
- सपाक्स के बैनर तले 600 से ज्यादा बंद समर्थक हरसिद्धी से रैली की शक्ल में भगवा झंडा थामे ज्ञापन देने प्रशासनिक संकुल पहुंचे।
- पुलिस बल ने संकुल में घुसने से रोकने की कोशिश की तो उसे धकेलते हुए भीड़ अंदर दाखिल हो गई।
- एट्रोसिटी एक्ट में संशोधन का विरोध करती भीड़ में महिलाएं अधिकारियों को चूड़ियां दिखाकर नारे लगा रही थीं।
- करीब डेढ़ घंटे तक प्रशासनिक संकुल के कॉरिडोर में भीड़ का कब्जा रहा।
- ब्राह्मण समाज ने मरीमाता चौराहे से राजबाड़ा तक रैली निकाली।
- रैली में शामिल बाइक सवार दुकानें बंद कराते दिखे।
- दिन-रात खुली रहने वाली राजबाड़ा की खाने-पीने की दुकानें भी बंद रही।
- ज्ञापन लेने आए कलेक्टर प्रदर्शनकारियों को नारेबाजी रोकने करने की अपील करते रहे।