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महाकाल लोक का उद्घाटन: 200 संतों की मौजूदगी पीएम मोदी ने किया उज्जैन महाकाल कॉरिडर का लोकार्पण
महाकाल लोक का उद्घाटन: मध्य प्रदेश की पावन धरती उज्जैन में 11 अक्टूबर के दिन दीपावली जैसा माहौल रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उज्जैन आकर महाकाल कॉरिडोर (Mahakal Corridor) यानी महाकाल लोक (Mahakal Lok) का उद्घाटन किया. उज्जैन महाकाल मंदिर का परिसर अब काशी विश्वनाथ मंदिर से अकार में 9 गुना विशाल बन गया है. इसे बनाने में 4 साल का समय लगा है.
प्रधानमंत्री मोदी ने महाकाल लोक पहुँचते ही सबसे पहले गर्भगृह पहुंचकर नंदी को प्रणाम किया और महाकाल के दर्शन लिए. पीएम ने महाकाल को चंदन, मोगरे और गुलाब की माला चढ़ाई। इसके बाद पीएम ने तीन मिनट तक वहीं बैठकर जप किया और संध्या आरती में शामिल हुए.
महाकाल कॉरिडोर का उद्घाटन
प्रधानमंत्री मोदी ने 200 संतों की मौजूदगी में महाकाल लोक का लोकार्पण किया। हर तरफ डीप जल रहे थे, आसमान में आतिशबाज़ी हो रही थी. साधू-संत हर-हर महादेव के जयकारे लगा रहे थे, शिव जी का मंत्रोचारण हो रहा था. पीएम के हाथों जब महाकाल कॉरिडर का लोकार्पण हुआ तो पूरा उज्जैन शिवमय हो गया.
पीएम ने रिमोट से 15 फ़ीट ऊँचे शिवलिंग का अनावरण किया। इस शिवलिंग को रक्षा सूत्र यानी कलावे से बनाया गया है. पीएम ने रोमोट का बटन दबाया उधर शिवलिंग का आवरण हैट गया. और इसी के साथ महाकाल लोक श्रद्धालुओं को समर्पित हो गया.
कितना बदल गया है महाकाल मंदिर
महाकाल मंदिर के आंगन को 856 करोड़ की लागत से डेवलप किया गया है. इस निर्माण को दो फेज में बांटा गया है. पेहे फेज का काम पूरा हो गया है। जिसका उद्घाटन पीएम मोदी करने वाले हैं. गर्भगृह तक पहुंचकर बाबा महाकाल के दर्शन करने के लिए आपको 946 मीटर लंबे कॉरिडोर को पार करना होगा। इस दौरान शानदार नक्काशी, और भगवान शिव जी और माता पार्वती की की मूर्तियां भोलेनाथ की गाथा सुनाएगीं। यह दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां मूर्तियों के माध्यम शिव जी से जुडी हर कहानी बताई गई है.
महाकाल मंदिर को सजाने के लिए हैदराबाद से खास पौधे मनगंवाए गए हैं. वहीं परिसर में शमी, बेलपत्र, नीम, पीपल, रुद्राक्ष और वटवृक्ष रोपे गए हैं.
महाकाल कॉरिडोर की लागत
महाकाल कॉरिडोर यानी महाकाल लोक के दोनों फेज के निर्माण का बजट 856 करोड़ है.जो 47 हेक्टेयर में फैला हुआ है. कॉरिडोर का आकर 946 किलोमीटर लंबा है. जबकि बाबा विश्वनाथ मंदिर को 800 करोड़ की लागत से बनाया गया है जो 5 हेक्टेयर में फैला है और विश्वनाथ कॉरिडोर 300 मीटर लंबा है
कैसे हुआ महाकाल कॉरिडोर का निर्माण
सबसे पहले उज्जैन महाकाल मंदिर के 2.8 हेक्टेयर में फैले आंगन को सजाने का प्लान बना था. जिसकी लागत 300 करोड़ थी. इसके बाद महाकाल मंदिर परिसर के रुद्रसागर को खूबसूरत बनाने का प्लान बना. 2017 में प्रोजेक्ट को दो फेज में पूरा करने के लिए 870 करोड़ का बजट स्वीकृत हुआ. इसके बाद यहां मूर्तियों और नक्काशियों का काम शुरू किया गया.
800 घर हटे, 12 हज़ार घरों की गन्दगी हटाई
महाकाल लोक का निर्माण इतना आसान नहीं था, इसके लिए सरकार को 800 परिवारों को दूसरे स्थान में शिफ्ट किया गया. स्कूल भी हटाए गए. हर दिन एक नई चुनौती सामने आती गई और उनका निदान किया जाता रहा. रुद्रसागर तालाब को स्वच्छ बनाने के लिए डेढ़ महीने तक जलकुम्भी हटाने का काम किया गया. आसपास के रहने वाले लोगों के घर से निकलने वाली गन्दगी इसी तालाब में जाती थी. इसी लिए 12 हज़ार घरों की सीवर लाइन को शिफ्ट किया गया. तालाब में पानी लाने के लिए इसे शिप्रा नदी से जोड़ा गया.
384 मीटर लम्बी म्यूरल्स वाल्स बनी हैं
महाकाल लोक में 384 मीटर लम्बी म्यूरल्स वाल्स बनाई गई हैं. जिनमे शिव जी की 25 कथाओं को 52 म्यूरल्स में प्रदर्शित किया गया है. इन कथाओं में शिव पुराण, श्रीमद भगवत गीता, देवी भागवत और अन्य ग्रंथों में वर्णींन शिव जी की महिमा की कहानियों को उकेरा गया है.
महाकाल कॉरिडोर फेज 2 में क्या होगा
Mahakal Corridor Phase 2: फेज 2 को शुरू करने की तैयारी पूरी हो गई है. इसमें सिंहस्त को ध्यान में रखा गया है. कॉरिडर फेज 2 के पूरा होने के बाद मेला में आने वाले लोगों को ज़्यादा दूर पैदल नहीं चलना पड़ेगा। 30 सितम्बर 2023 तक महाकाल आने वाले श्रद्धालुओं के लिए 2500 गाड़ियां पार्क होने वाली पार्किंग बन जाएगी। और सिंहस्त मेले में 7 हज़ार गाड़ियां पार्किंग व्यवस्था बन जाएगी।
कैसा है महाकाल लोक
महाकाल लोक के मुख्य द्वार में नंदी हैं, आगे जाने पर भगवान गणेश की बड़ी प्रतिमाएं मिलती है. सामने नंदी द्वार है. और उसके ठीक सामने 108 स्तम्भ हैं. इस स्तम्भों में भगवान नटराज स्वरुप को अलग-अलग मुद्राओं में उकेरा गया है. सामने की तरफ 25 फ़ीट ऊंची दिवार में शिवगाथा को उकेरा गया है. दायें तरफ कमल सरोवर है. जहां भोलेनाथ की विशाल प्रतिमा है.यहीं सामने की तरफ 4 शेर बने हैं. इसी तरफ रुद्रसागर है.
रुद्रसागर के तरफ ही पिनाकी द्वार है जहां नवग्रह के साथ गणेश और कार्तिकेय के दर्शन होते हैं. यहां आपको त्रिपुरासुर वध की गाथा मूर्तियों में दिखाई देती है. एक पार्क है जहां त्रिशूल के साथ रुद्राक्ष और डमरू के साथ ॐ की आकृति बनी बनी है. आगे की तरफ महाकाल पथ में 25 दीवारों में 52 और सप्तऋषि पर 28 म्यूरल बने हैं.