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Unakoti: त्रिपुरा की ऐसी अद्भुत जगह जहां मौजूद है 99 लाख 99 हज़ार 999 मूर्तियां

Abhijeet Mishra | रीवा रियासत
19 Aug 2022 7:45 PM IST
Updated: 2022-08-19 14:05:53
Unakoti: त्रिपुरा की ऐसी अद्भुत जगह जहां मौजूद है 99 लाख 99 हज़ार 999 मूर्तियां
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Unakoti Tripura: त्रिपुरा इतनी खूबसूरती और रहस्यों से भरा हुआ है कि आप सोच नहीं सकते, चटानों में 1 करोड़ से सीर्फ 1 मूर्ति कम है लेकिन ऐसा क्यों है।

Unakoti Tripura: भारत देश खूबसूरती और रहस्यों से भरा पड़ा है, और भारत में सबसे ज़्यादा सुन्दर जगह कोई है तो वो है 'नार्थ ईस्ट' यानी के उत्तरपूर्वी भारत। इसी दिशा में एक राज्य है 'त्रिपुरा' जो इतना खूबसूरत और रहस्यों से भरा हुआ है कि आप सोच नहीं सकते। क्या पता ये आर्टिकल पढ़ने के बाद आप अपना बैग पैक करें और त्रिपुरा घूमने के लिए निकल पड़े.


त्रिपुरा में एक स्थान है जिसका नाम है 'उनाकोटी' । ये जगह अपने आप में एक मिस्ट्री है और इसका इतिहास तो बहुत महान रहा ही है। ये जगह खूबसूरत नज़रों, प्राकृतिक सौन्दर्य और रहस्य्मयी चीजों से भरी पड़ी है।

ऐसा क्या है 'उनाकोटी' में


त्रिपुरा की राजधानी 'अगरतला' से करीब 145 किलोमीटर नज़दीक 'उनाकोटी' नाम की जगह है. इस जगह का नाम पूरी दुनिया में मशहूर है, उनाकोटी के जंगल में लाखों विशालकाय और छोटी-बड़ी हिन्दू देवी देवताओं की मूर्तियां चटानों को तराश कर बनाई गई हैं. यहाँ मूर्तियों की संख्या कोई 1 या 2 लाख नहीं है बल्कि पूरे के पूरे 99 लाख 99 हज़ार 999 मूर्तियां है। एक करोड़ होने से सिर्फ एक मूर्ति कम है।

वैज्ञानिकों की बुद्धि फेल हो गई


त्रिपुरा के उनाकोटी में 99 लाख 99 हज़ार 999 देवी देवताओं की मूर्तियां किसने और क्यों बनाई इसका कोई इतिहास में वर्णन नहीं है। बस पौराणिक कथाओं में इनका उल्लेख मिलता है। यहाँ पर भगवान शिव और भगवान गणेश की विशालकाय मूर्तियां है जो अपने आप में एक रहस्य हैं। इस जगह पर कुछ ऐसे रस्ते हैं जो चट्टानों के बीच से होकर गुजरते हैं जिनके रहस्य सुलझाने में बड़े-बड़े आर्कियोलॉजिस्ट और वैज्ञानिकों की बुद्धि खुल गई। लेकिन कोई उन रहस्यों को सुलझा नहीं पाया।

कालभैरव की मूर्ति 30 फ़ीट ऊँची है
वैसे उनाकोटी में इतनी मूर्तियां है जिनकी गिनती करना आपको याद ही नहीं रह पाएगा। यहां पर भोलेनाथ और भगवान गणेश के अलावा भी एक 30 फ़ीट ऊँची कालभैरव की मूर्ति है जिसे चटानों को तराश के बनाया गया है. और यहां कालभैरव की विशाल मूर्ति को देखने के लिए लोग दुनिया के कोने-कोने से आते हैं।


कोई रहता नहीं है सिर्फ जंगल और दलदल है


उनाकोटी के कई मील दूर तक इंसानी आबादी नहीं है। यहां सिर्फ स्वच्छ वातावरण, घाना जंगल और दलदल हैं। यही इस जगह को रहस्य से भर देता है कि जब यहाँ दूर-दूर तक कोई इंसानी बसेरा नहीं है तो इतने घने जंगल में लाखों मूर्तियां किसने और क्यों बनाई और बनाई भी तो एक करोड़ मूर्तियां क्यों नहीं बनाई सिर्फ 99 लाख 99 हज़ार 999 मूर्ति बना कर ही क्यों छोड़ दिया।

पौराणिक कथा में छुपा है रहस्य


इतिहास के पन्नों में तो त्रिपुरा के इस रहस्य का कोई ज़िक्र नहीं है। शायद इतिहास लिखने वाले अंग्रेज यहाँ तक पहुंच ही नहीं पाए और ना ही मुगल यहां पहुंच पाए वरना ये जगह बचती ही नहीं। खैर भले ही इतिहास में उनाकोटी की मूर्तिओं के बारे में नहीं बताया गया मगर सनातन धर्म का इतिहास बताने वाली पौराणिक ग्रंथों में उनाकोटी का ज़िक्र है.

'कहा जाता है कि चट्टानों में बनी मूर्तियों को एक 'कालू' नाम के शिल्पकार ने बनाई थीं. ऐसा कहा जाता है कि जब वो भगवान शिव के साथ कैलाश जाने की जिद करने लगा तो शिव जी ने उन्हें रोकने के लिए कई बार प्रयास किया कई बार मनाने पर भी जब वो नहीं माना तो भगवान शिव ने कालू के सामने एक शर्त रखी 'अगर तुम एक रात में 1 करोड़ मूर्तियां बना दोगे तो मैं तुम्हे अपने साथ कैलाश लेकर जाऊंगा' भगवान की इस शर्त पर कालू मान गया और चट्टानों में मूर्तियां बनाने लगा और सुबह जब उसने उन मूर्तियों को गिना तो उसमे सिर्फ एक मूर्ति कम रह गई और कालू शिव जी के साथ कैलाश नहीं जा पाया

भारतीय पुरातत्व विभाग के अनुसार ये मूर्तियां करीब 1200 साल पुरानी हैं. वहीँ वैज्ञानिकों का कहना है कि इन मूर्तियों का निर्माण 8 से लेकर 9 वीं शताब्दी के बीच हुआ है।





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