नई दिल्ली। रेलवे ने स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर नए नियम बनाए हैं। अब अगर ट्रेन में सफर के दौरान किसी यात्री की तबियत खराब होती है तो उसे पहले टीटीआई को सूचित करना होगा, इसके बाद टीटीआई इसकी सूचना कंट्रोल रूम को देगा। इसके बाद यात्री चिकित्सकीय सेवा ले सकेगा। इसके लिये रेलवे ने डाॅक्टर के लिए 100 रुपये की कंसल्टेशन फीस तय की है जो नकद देनी होगी। वहीं दवाओं का खर्च भी यात्रियों को उठाना होगा।
दरअसल रेलवे ने ऐसा कदम इसलिए उठाया है, क्योंकि अक्सर मामूली सी तबीयत खराब होने पर यात्रियों द्वारा कंट्रोल रूम में फोन कर चिकित्सकीय सेवा नजदीक के स्टेशन पर ली जाने लगी है। इससे रेलवे को समय के साथ आर्थिक नुकसान होता है।
आपको बता दें कि कोरोना काल में लोगों ने ट्रेनों से दूरी बनाई रखी, लेकिन हालात सामान्य होने पर सफल शुरू हुआ। रेलवे ने स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार में प्रयास किया है। जहां सफर के दौरान यात्रियों का स्वास्थ्य खराब होने पर तुरंत चिकित्सकीय सुविधा मिल सकेगी। यह इमरजेंसी सेवा हर छोटे-बड़े स्टेशनों पर उपलब्ध कराई जा रही है।
ऐसे मिल सकेगी सुविधा
भारतीय रेलवे के नए नियम के अनुसार यदि कोई यात्री सफर के दौरान बीमार होता है तो टीआई इसकी सूचना कंट्रोल रूम को देगा। इसके बाद अगले स्टेशन पर डॉक्टर उसका इलाज करेंगे। इलाज के बाद स्टॉफ यात्री से 100 रुपए लेकर ईएफटी यानी एक्सेस फेयर टिकट बनाएगा और पर्ची यात्री को देगा। जनसंपर्क अधिकारी वाराणसी मंडल अशोक कुमार का कहना है कि मेडिकल सेवा के बदले 100 रुपये फीस यात्री को देनी होगी। जिसकी रसीद यात्रियों को दी जाएगी। दवा का बिल भी यात्रियों को ही भरना होगा।
दुर्घटना में इलाज का खर्च रेलवे उठाएगा
मिली जानकारी अनुसार रेल दुर्घटना होने पर रेलवे की ओर से पूरी मदद उपलब्ध कराई जाएगी। ऐसी स्थिति में यात्रियों से कोई शुल्क नहीं लिया जायेगा और पूरा इलाज कराया जायेगा और पूरा खर्च रेलवे उठाएगा। रेलवे लगातार यात्रियों की सुविधा पर यान दे रहा है लेकिन यात्री इस सुविधा अनावश्यक उपयोग कर रेलवे को नुकसान पहुंचाने का काम कर रहे हैं। जिससे रेलवे को नियम बदलने पड़ रहे हैं।