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रीवा के किले में स्थित है दुनिया का अकेला महामृत्युंजय शिवलिंग

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 11:24 AM IST
रीवा के किले में स्थित है दुनिया का अकेला महामृत्युंजय शिवलिंग
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रीवा : हिंदुस्तान के दिल मध्यप्रदेश में कई ऐसे शहर हैं, जहां पूरे वर्ष पर्यटक आते रहते हैं। इन्हीं में से एक शहर है— रीवा। इसका किला पूरी दुनिया में अपनी भव्यता के लिए मशहूर है। इसकी खूबसूरती का जवाब नहीं। इसे देखने जो भी पर्यटक आते हैं, बस इसकी खूबसूरती में ही खो जाते हैं। दीवारों पर की गई नक्काशी का कोई जवाब नहीं। इस किले की भव्यवता देखते ही बनती है।

इस महत्वपूर्ण किले को सलीम शाह ने बनाना शुरू किया था, लेकिन वे इसे पूरा नहीं कर सके थे। इसके बाद महाराजा विक्रमादित्य ने इसे पूरा करने का फैसला किया। जब यह किला बनकर पूरी तरह तैयार हो गया, तो राजा भाव सिंह ने इसके अंदर महामृत्युंजय मंदिर का निर्माण करवाया।

आज हम आपको इसी महामृत्युंजय मंदिर के बारे में बताएंगे। मध्यप्रदेश में शिव उपासना के पुरातन और धार्मिक महत्व के अनेक शिव मंदिर हैं। इनमें दो प्रमुख ज्योर्तिलिंग श्री महाकालेश्वर और ममलेश्वर प्रसिद्ध हैं। इनके अलावा कुछ ऐसे प्राचीन शिव मंदिर भी है, जिनके शिवलिंग अपने विशेष गुण और प्रभावों के कारण श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र हैं। ऐसे ही एक दिव्य शिवलिंग रीवा के महामृत्युंजय मंदिर में है।

कहा जाता है महामृत्युंजय जाप से असमायिक मौत को भी टाला जा सकता है। रीवा का यह महामृत्युंजय मंदिर दुनिया का सबसे अनोखा मंदिर है। ये एकमात्र मंदिर है जहां भोलेनाथ के महामृत्युंजय रुप के दर्शन होते हैं। शिव का यह रुप अकाल मृत्यु, रोग और कलह से मुक्ति देने वाला माना जाता है।

धार्मिक मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ को तीन नेत्र है इसलिए उन्हें त्रिनेत्रधारी भी कहा जाता है। किंतु इस मंदिर के शिवलिंग की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस सफेद शिवलिंग पर तीन नहीं बल्कि एक हजार नेत्र हैं। इसे सहस्त्र नेत्रधारी शिवलिंग भी कहते हैं।

लोक मान्यता है कि अगर एक साथ इन हजार नेत्रों की दृष्टि यदि शिवभक्त पर पड़ जाए तो उसकी सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। पौराणिक मान्यता है कि इस स्थान पर ऋषि दधीचि ने घोर तप से शिव को प्रसन्न किया।

इस शिव मंदिर की धार्मिक परंपराओं में भय, बाधा, रोग दूर करने और मनोकामना पूरी करने के लिए नारियल बांधा जाता है।

मनोरथ पूरे होने पर यह नारियल खोलकर वापस ले जाया जाता है। शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने का महत्व है। ऐसी मान्यता है कि यहां निराश मन को उम्मीद की किरण मिलती है और सावन में शिवलिंग दर्शन से शिव खुशियों की बरसात करते हैं।

रीवा में प्रकृति के अनेक रंग देखने को मिलते हैं। यहां हरे मैदान, ऊंचे पहाड़, झरने होने के साथ ही गंगा की सहायक नदियां भी गुजरती है। यहां अनेक पुराने महल और मंदिर और चचई झरने जैसे पर्यटन स्थल भी सैलानियों को आकर्षित करते है। शिव मंदिरों में मसौन का शिव मंदिर भी अपनी बेजोड़ विशेषता के लिए जाना जाता है।

Aaryan Dwivedi

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