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IIT कानपूर के स्टूडेंट्स ने बनाया टूटी हड्डी को जोड़ने वाला इंजेक्शन, कैसे काम करेगा

Abhijeet Mishra | रीवा रियासत
24 July 2022 7:00 PM IST
Updated: 2022-07-24 13:19:43
IIT कानपूर के स्टूडेंट्स ने बनाया टूटी हड्डी को जोड़ने वाला इंजेक्शन, कैसे काम करेगा
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IIT Kanpur: रिसर्चर्स ने ऐसा इंजेक्शन बनाया है जो टूटी हुई हड्डियों को जोड़ देता है, ऐसे में बोन रिप्लेसमेंट की झंझट ख़त्म हो जाएगी

IIT Kanpur: आईआईटी कानपूर के होनहार स्टूडेंट्स ने ऐसा इंजेक्शन बनाया है जो टूटी हुई हड्डी को अंदर ही अंदर जोड़ने का काम करता है. इस इंजेक्शन की मदद से बोन रिप्लेसमेंट वाली झंझट ख़त्म हो जाएगी। मेडिकल क्षेत्र में यह रिसर्च बहुत काम की है और IIT कानपूर के लिए बड़ी उपलब्धि है।

जैसे किसी दुर्घटना के किसी व्यक्ति की हड्डी टूट जाती है और प्लास्टर से जोड़ने की गुंजाईश नहीं बचती है. तो ऐसे में उस हड्डी को बदलना पड़ता है और कृतिम हड्डी या फिर धातु की छड़ें लगानी पड़ती है. यह इलाज बेहद दर्दनाक होता है और जीवनपर्यन्त दर्द सहना पड़ता है। IIT कानपूर की लैब में इस झंझट को खत्म करने के लिए स्टूडेंट्स ने ऐसा इंजेक्शन बनाय है जो अंदर ही अंदर टूटी हुई हड्डियों को जोड़ देता है।

ये कैसे काम करता है

वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर किसी के साथ दुर्घटना हो जाए या फिर बोन कैंसर/बोन लॉस के चलते हड्डी को रिप्लेस करने की नौबत आ जाए तो इसके कारण मरीज के शरीर में इंटरनल संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है. लेकिन इस इंजेक्शन का अविष्कार होने के बाद इन समस्यायों से छुटकारा मिल जाएगा। ITT के वैज्ञानिकों ने ऐसी बोन रिजनरेशन रेक्नोलॉजी विकसित की है, जिसकी मदद से जहां भी हड्डी टूटी है या नहीं है, वहां इसे इंजेक्ट करके खाली स्थान को भरा जा सकेगा।

ऑर्थो रिजेनिक्स से साइन हुआ एमओयू

इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल मेडिकल लाइन में अमल में लाया जा सके इसके लिए आईआईटी कानपुर और ऑर्थो रिजेनिक्स के बीच एक एमओयू साइन हुआ है। जिसके तहत अब ऑर्थो रिजेनिक्स इस टेक्नेलॉजी का व्यापारिक इस्तेमाल कर सकेगी।

हड्डी इंजेक्शन से कैसे जुड़ेगी

जिस जगह की हड्डी टूटी है या नहीं है, वहां इस इंजेक्शन की मदद से दो केमिकल पेस्ट बनाकर इंजेक्ट किया जाएगा, जो प्रभावित स्थान में पहुंच जाएगा। इस कैमिकल में सिरेमिक बेस्ड मिक्सचर में बायो-एक्टिव मॉलिक्यूल होंगे जो हड्डी के रीजनरेशन में मदद करेंगे। इस तकनीक को विकसित करने वाले डिपार्टमेंट ऑफ़ बायो-साइंसेज एन्ड बायो इंजीनियरिंग के प्रोफेसर अशोक कुमार का कहना है कि यह स्वस्थ क्षेत्र में क्रांति लेकर आएगा और इससे कृतिम हड्डी भी प्राकृतिक हड्डी जैसी हो जाएगी।



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