ऑटो ड्राइवर का बेटा बना गोल्डन बॉय, रूस में की फतह, MP के खिलाड़ी ने देश का बढ़ाया मान
खेल। कहते है हौसलों को ही पंख लगते है और हर मुश्किलों को दर किनार करके वह आखिर कार अपना मुकाम हासिल कर ही लेता है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया एमपी के एक ऑटो चालक का होनहार बेटा। जिसने रूस की राजधानी मास्कों में आयोजित हुई खेल प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन करके गोल्ड मैडल प्राप्त किया है।
दरअसल वुशू गेम में भारत का नेतृत्व करने वाले 22 वर्ष के इस गोल्डन बॉय का इंटरनेशनल लेवल पर ये तीसरा गोल्ड मेडल है। वे अब तक 12 मेडल हासिल कर चुके हैं। अब उनकी नजर एशियाड गेम्स पर है।
आसान नही था यह मुकाम
गुना के भार्गव कॉलोनी में रहने वाले रोहित जाधव के लिये इंटरनेशनल गेम में सफर करना एवं गोल्ड मेडल जीतना इतना आसान नही था। दरअसल उसके पिता पेशे से ऑटो चालक है और संघर्षो के बीच होनहार रोहित ने हिम्मत नही हारी।
ऑटो ड्राइवर पिता के बेटे का इंटरनेशनल खिलाड़ी बनने का सपना इतना आसान नही था। समस्याओं के बीच वह इस खेल की शुरूआत किए, बताते है कि वह बिना मैट के ही इसकी तैयारी करता था। जमीन पर बुशू आर्ट की प्रैटिकस करके वह इसकी बारिकिंयो का जनने का प्रयास किया और फिर लगातार आगे बढ़ता गया।
8वी कक्षा से मिली ट्रेनिग
उसके पिता का कहना था कि रोहित जब 8वीं में था, तब स्कूल में वुशू सिखाने के लिए कोच आए। जिसके बाद तो रोहित ने वुशू को मानों अपने जीवन में ही उतार लिया हो।
उसके कोच धर्मेंद्र मांझी ने उसे ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया। जिला स्तर और प्रदेश स्तर के टूर्नामेंट में उसे भेजा। वहां गोल्ड मेडल जीता, तो हौसला बढ़ता गया।
एशियाड गेम्स जीतना ही सपना
रोहित का कहना है कि ओलिंपिक में अभी यह खेल शामिल नहीं है। एशियाड गेम्स में मेडल लाना उनका सपना है। मॉस्को में कई देशों ने हिस्सा लिया। उन्होंने बताया कि जब प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीत के बाद राष्ट्रगान बजा, वह उत्साहित करने वाला पल था। अब एशियाड गेम्स की ट्रेनिंग के लिए वह नागालैंड जाएंगे।
अब तक जीता है 12 मैडल
इससे पहले रोहित ने 2017 में साउथ कोरिया में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। 2018 दिल्ली एशियाई चैम्पियनशिप में दो गोल्ड जीते। स्टेट और नेशनल मिलाकर कुल 12 मेडल वह जीत चुके हैं।
चीनी मार्शल आर्ट वुशू
वुशू एक चीनी मार्शल आर्ट खेल है। लड़ाई गतिविधियों के साथ आंतरिक और बाहरी दोनों तरह के अभ्यास इसमें किए जाते हैं। इसे दो वर्गों ताओलो और संसौ में बांटा गया है। ताओलो में मार्शल आर्ट पैटर्न, एक्रोबैटिक मूवमेंट्स और तकनीकी कला शामिल है।