पूजा के समय आखिर क्यों बजाई जाती है घंटी और घड़ियाल, आइए जाने पूरा कारण
पूजा के समय घंटी बजाने के महत्त्व: आमतौर पर पूजा के समय बजाई जाने वाली घंटी बहुत ही शुभ और पवित्र मनी गई है। मान्यता है कि अगर पूजा के समय घंटी ना बजाए जाए तो वह अधूरी पूजा कहलाती है। वही यह भी मान्यता है कि घंटी बजाने से मंदिर में स्थापित देवी देवताओं की मूर्तियों में चेतना जागृत होती है। इन सब बातों में कितनी सच्चाई है इसे जानने के लिए हमें और भी कई तथ्यों पर विचार करना होगा। वैसे विज्ञान भी घंटी बजाने पर मानव के लिए फायदेमंद बताया है।
पूजा का मिलता है पूर्ण फल
मान्यता के अनुसार घंटी बजा कर पूजा और आराधना करना अधिक फलदायक और प्रभावशाली होता है। ऐसा कहा जाता है कि इसे सकारात्मक शक्तियों का प्रचार होता है तथा नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है । कहा गया है कि कई बार अशांत मन को घंटे की ध्वनि शांति प्रदान करती है।
घंटी बजाने का इतिहास
घंटी बजाने की परंपरा बहुत पुरानी बताई जाती है। हिंदू धर्म में पुरातन काल से मंदिरों में घंटी और घड़ियाल बजाने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि इसकी शुरुआत प्राचीन काल में भारतीय ऋषि-मुनियों ने शुरू की थी। हिंदू परंपरा के साथ ही बौद्ध और ईसाई धर्म के लोगों ने भी घंटी बजाने की प्रथा है। यहा बौद्ध स्तूपों में भी घंटी बजाई जाती है वहीं चर्च में भी घंटी बजाने की अपनी परंपरा है।
घंटी बजाने के लाभ
घंटी की ध्वनि पवित्र और मन को सुख तथा शांति प्रदान करने वाली होती है। इसी तरह है पूजा और आरती के समय बजने वाले घड़ियाल की ध्वनि बहुत ही पवित्र है। मान्यता है कि घंटी की मधूर ध्वनि से एक ओर जहां व्यक्ति और आसपास के वातावरण की नकारात्मकता समाप्त हो जाती है। वहीं एक नवउर्जा का संचार होता है।