जब यमराज को ऋषि ने दे दिया था श्राप, पृथ्वी में मनुष्य रूप में लेना पड़ा था जन्म
क्या आपको पता है कि यमराज को एक शाप की वजह से पृथ्वी पर जन्म लेना पड़ा था। अगर नही पता है तो आज इस समाचार से आपका मार्गदर्शन होगा। आपको बताया जायेगा कि आखिर किस कारण से यमराज को यमलोक छोड़कर पृथ्वी में आना पड़ा तथा वह किसके गर्भ से पैदा हुए थे। इससे जुडी सभी जानकारी।
क्या है कथा
कहा जाता है कि मांडव्य नाम के एक ऋषि थे। वह इतने तपस्वी थे कि कई सिद्धियां उनके पास थी। लेकिन एक बार ऐसा हुआ कि वह अपनी कुटिया में तपस्या कर रहे थे। कुछ चोर जो राज्य में चोरी कर भाग रहे थे और सैनिक उनके पीछे थे। चोरां को भागने की जगह नही मिली तो वह महर्षि की कुटिया में प्रवेश कर चोरी का सामान वहीं छोड़कर भाग गए।
बताया जाता है कि सैनिक चोरो को खोजते हुए ऋषि की कुटिया में गये और वहां चोरी का सामान बरामद कर लिया। ऐसे मे सैनिक सामान सहित ऋषि को बंदी बनाकर राजा के समक्ष लेगये।
सैनिकों के बताए अनुसार राजा ने ऋषि को मृत्युदंड दे दिया। राजा के आदेश के बाद जब ऋषि को फांसी पर चढाया गया तो उनकी मौत नहीं हुई। ऐसे में राजा आश्चर्य चकित हो गया और ऋषि को छोड़ने का आदेश दे दिया।
साथ में राज ने ऋषि से क्षमा मागी । जिस पर ऋषि ने कहा कि मै आपको राजन क्षमा करता हूं लेकिन यमराज को क्षमा नही करूंगा। बिना अपराध के मुझे यमराज ने ऐसे दंड का विधान क्यों किया।
कहा जाता है कि ऋषि आपने तप के बल पर यमलोक पहुंचे और इस सजा के लिए यमराज से कारण पूछा। जिस पर यमराज ने बताया कि जब आप 3 वर्ष के थे तब आपने एक तितली को कांटा चुभाया था। इस पाप की वजह से आपको यह दंड मिला है।
इस पर ऋषि ने यमराज को कहा कि हमारे शास्त्रों में दंड का विधान यह है कि अगर कोई अबोध बालक इस तरह की गलती करता है तो क्षम्य है। ऋषि ने यमराज को कहा आपने शास्त्रो में बताए दंड विधान के विपरीत कार्य किया है।
इस पर क्रोधित होकर मांडव्य ऋषि ने यमराज को श्राप दिया कि आपने शास्त्रों के विधान के विपरीत दंड दिया है इसलिए आपको पृथ्वी पर एक दासी के गर्भ से जन्म लेना पड़ेगा।
कहा जाता है कि ऋषि मांडव्य के श्राप वस यमराज को महाभारत काल में दासी पुत्र विदुर के रूप में जन्म लेना पड़ा।