Shivratri 2023: शिव, सदाशिव और शंकर में क्या अंतर है, शिवपुराण में बताया गया है
What is the difference between Shiva, Sada Shiva and Shankar: हम भगवान शिव को कई नामों से सम्बोधित करते हैं. शिव, भोले, शंकर, महाकाल, महादेव, महामृत्युंजय, जटाधारी, स्वयंभू शिव के कई रूप और कई नाम है.
लेकिन क्या आपको पता है शिव, सदा शिव और शंकर तीनों अलग-अलग हैं. कहने का मतलब है कि तीनों अलग होकर भी एक हैं और एक होकर भी अलग हैं. हालांकि शिवपुराण में लिखा है कि जो व्यक्ति ब्रम्हा, विष्णु, महेश और शिव, सदा शिव तथा शंकर में भेद करेगा वो नर्क की आग में जलेगा। लेकिन हम यहां महादेव के रूपों में भेद नहीं कर रहे बल्कि भक्तों को शिवपुराण में लिखीं बातों को बताने जा रहे हैं.
शिव और शंकर में क्या अंतर है
हमें 2 प्रकार के शिव चिन्ह देखने को मिलते हैं. एक हैं जो मानवरूपी हैं, उनकी जटा है जिससे पवित्र गंगा मइया बहती है, उनके पुत्र हैं, धर्मपत्नी माता पार्वती हैं और वह कैलाश पर्वत में एक तपस्वी का जीवन जीते हैं. उनकी कल्पना के आधार पर बनाई गई भगवान शंकर की छवि कुछ ऐसी ही है. वहीं एक शिव की पूजा हम करते हैं जो शिवलिंग हैं. जो इस संसार, ब्रम्हांड को दर्शाता है. शिव लिंग का अर्थ चिन्ह से है. संस्कृत में लिंग का अर्थ किसी प्रतीक या चिन्ह होता है। शिवलिंग भगवान शिव का प्रतीक है.
दोनों में फर्क क्या है
शंकर शिव के वह रूप हैं जो मानवरूपी हैं, जिन्होंने इस संसार के कल्याण के लिए पृथ्वी पर आकर ठहरे हैं. वह सिद्धपुरुष हैं, वह आदियोगी हैं मतलब इस दुनिया के सबसे पहले योगी। शंकर तपस्वी हैं.
शिव परमात्मा हैं, रचयिता हैं, शंकर उनका मानवरूप है, उनकी रचना है, शिव का सम्बन्ध ब्रम्ह लोक से है और शंकर शुक्ष्म लोक के परमधाम में निवास करते हैं. ब्रम्ह लोक का अर्थ अनंत ब्रम्हांड है और शुक्ष्म लोक अपनी पृथ्वी है। शिव की आराधना शिवलिंग से होती है, उनका कोई आकार नहीं है वह निरंकारी हैं. वह बिंदु हैं, इस संसार को चलाने वाली ऊर्जा हैं. वह असीमित दिव्य अंधकार हैं
आप भगवान शंकर को शिव का मानवरूपी अवतार कह सकते हैं, क्योंकि शिव अजन्म हैं वह जीवन मरण के चक्र से मुक्त हैं. जबकि शंकर सकारी देवता हैं. शिव शंकर में प्रवेश करके वो महान कार्य करते हैं जो अन्य कोई देवता नहीं कर सकता। शंकर विनाशक हैं. शंकर महान शक्ति का एक अंश हैं.
सदाशिव और शिव में क्या अंतर है?
शिवपुराण के अनुसार शिव आदिशक्ति को माँ कहकर पुकारते हैं, और सदा शिव को पिता, वो कहते हैं कि ब्रह्मा और विष्णु का जन्म आपसे हुआ, मेरा भी जन्म आप से हुआ इसी लिए मैं भी आपकी संतान हूँ. शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव की उत्पत्ति मां आदिशक्ति और सदा शिव से हुई, ऐसा उल्लेख है कि भगवान विष्णु और ब्रह्मा सदाशिव के अर्धावतार हैं जबकि शिव उनके पूर्णावतार हैं. शिव और सदाशिव में कोई अंतर और भेद नहीं है।
पुराण के अनुसार सदाशिव कहते हैं कि जो भी मुझमें और शिव में भेद करेगा वह नरक का भोगी होगा, इसी तरह जो भी ब्रह्मा, विष्णु और महेश में भेद करेगा वह नरक जाएगा। हम तीनों एक ही हैं. मगर इस संसार में हम अलग-अलग रूप लेते हैं.
जब हम सदाशिव के बारे में बात करते हैं तो हम इस संसार की महान आत्मा के बारे में सोचते हैं, जो परमात्मा हैं संसार की शक्ति हैं. वो अनंत हैं. और जब हम शिव के बारे में सोचते हैं जो की सदा शिव ही नहीं वह भी निराकार हैं,अनंत हैं. और जब हम शंकर के बारे में बात करते हैं तो वह मानवरूपी देवता हैं जो पृथ्वी में रहते हैं जिन्हे हम भोलेनाथ कहते हैं.