राम-रावण युद्ध के बाद वानर सेना का क्या हुआ था?
राम-रावण युद्ध के बाद वानर सेना कहां गई: भारत के प्राचीन इतिहास और महाकाव्य रामायण को भले ही आपने पढ़ा ना हो मगर इसकी कहानी के बारे में आपको हर बात मालूम होगी। सनातनियों के आराध्य भगवान श्री राम जी के जीवन पर आधारित रामायण पर कई टीवी सीरियल और फ़िल्में बनी हैं. लेकिन बहुत लोगों को यह बात मालूम नहीं है कि राम-रावण युद्ध के बाद वानर सेना का क्या हुआ था (What happened to the vanar sena after the Rama-Ravana war).
मालूम हो कि श्री राम जी की सहायता के लिए वानराज सुग्रीव ने अपने भतीजे अंगद के नेतृत्व में करीब एक लाख सैनिकों की संख्या वाली वानरसेना को श्रीलंका भेजा था. जब श्री राम और रावण का युद्ध हुआ तो दोनों तरफ के हजारों सैनिक मारे गए लेकिन युद्ध के बाद बचे हुए सैनिक और सेनापति अंगद कहा गए?
राम रावण युद्ध के बाद अंगद का क्या हुआ
राम रावण युद्ध के बाद श्री राम ने सुग्रीव को किष्किंधा का राजा बना दिया था. और अंगद को युवराज घोषित किया था. रामसेतु बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले नल-नीर को किष्किंधा में राजा सुग्रीव का मंत्री बनाया गया था.
युद्ध के बाद वानर सेना कहां गई?
वानर का अर्थ भले ही आपको अंग्रेजी में मंकी या बंदर मिले मगर असल में इसका सच्ची उच्चारण वन में रहने वाला नर होता है. यह मानव ही थे जो वन में रहते थे. किष्किंधा के पास घने जंगलों में वानर रहते थे. जिसे जिसे दंडक वन या दंडकारण्य वन कहा जाता है.
वानर सेना का कोई एक राजा नहीं था. यह अलग-अलग कबीलों में रहते थे. हर एक झंड का सेनापति होता था जिसे यूथपति कहा जाता था, लंका पर आक्रमण करने से पहले सुग्रीव ने अपनी वानर सेना के साथ अलग-अलग कबीलों में रहने वाले वानरों का प्रबंध किया था.
जब युद्ध समाप्त हुआ तो श्री राम अयोध्या लौट आए, उनके साथ सेना भी वापस लौट आई और अपने-अपने राज्यों/कबीलों में दोबारा से रहने लगी.