दशहरा पर इसलिए किया जाता है शस्त्र पूजन, ये है इसके पीछे का रहस्य
Dussehra Shastr poojan: दशहरे (Dussehra) के दिन शस्त्र पूजन (Shastra Poojan) करने की परंपरा सदियों पुरानी है और इसके लिए कई तरह की बाते प्रचलित है। प्राचीन समय से इस दिन सनातन धर्म में शस्त्र पूजन की परंपरा चली आ रही है। इस दिन लोग शस्त्र पूजन के साथ ही वाहन पूजन भी करतें हैं। वहीं आज के दिन से किसी भी नए कार्य की शुरु भी शुभ माना जाता है। जानकार बताते है कि युद्ध पर जाने से पहले शस्त्र पूजन (Shastr poojan) होता था। तभी से ये परंपरा शुरू हुई, वहीं इस दिन को ब्राह्मण विद्या ग्रहण करने के लिए भी चुनते थे।
युद्ध के लिए दशहरे का होता था इंतजार
दशहरा का दिन किसी भी कार्य के लिए शुभ है। ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र का कहना है कि पुराने समय में क्षत्रिय दशहरे का इंतजार युद्ध पर जाने के लिए किया करते थे। मान्यता थी कि इस दिन जिस तरह भगवान श्रीराम ने असत्य को परास्त कर विजय हासिल की थी और मां दुर्गा ने महिषासुर का वध करके बुराई का अंत किया था, उसी प्रकार दशहरे के दिन जो भी युद्ध शुरू होता है, उसमें उनकी जीत निश्चित होती थी।
बुराई पर अच्छाई का है यह पर्व
ज्योतिषाचार्य के अनुसार दशहरा हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। दशहरा बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य की जीत का पर्व है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध कर लंका पर विजय प्राप्त की थी। उन्होने रावण की कैद से सीता को आजाद कराया था, तो यह भी मान्यता है कि मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का इसी दिन वध किया था। दशहरा इस वर्ष 15 अक्टूबर दिन शुक्रवार को देशभर में मनाया जा रहा है। दशहरा को विजय दशमी (Vijaya Dashami) भी कहते हैं। इस दिन मां दुर्गा और भगवान श्रीराम का पूजन होगा है। तो वही रावण के पुतले जलाए जाएंगे है।
शमी के वृक्ष की पूजा मिलते है लाभ
दशहरा पर्व के दिन शमी के वृक्ष की पूजा करने से लाभ मिलता है। पुराणों के अनुसार जब भगवान श्रीराम लंका पर चढ़ाई करने जा रहें थे तो उन्होंने शमी के वृक्ष के सामने अपना शीश झुकाया था और लंका पर विजय की कामना की थी।