अध्यात्म

हनुमान चालीसा की कहानी: अकबर की जेल में गोस्वामी तुलसीदास ने लिखी थी हनुमान चालीसा!

हनुमान चालीसा की कहानी: अकबर की जेल में गोस्वामी तुलसीदास ने लिखी थी हनुमान चालीसा!
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Story of Hanuman Chalisa: तुलसीदास को जादूगर समझकर मुर्ख मुगल सम्राट अकबर न उन्हें जेल में कैद कर दिया था

Story of Hanuman Chalisa: श्री राम भक्त हनुमान जी की महिमा का बखान करने वाली 40 चौपाइयां जिन्हे हनुमान चालीसा के नाम से जाना जाता है उसकी रचना जेल में हुई थी. हनुमान चालीसा के रचयिता श्री गोस्वामी तुलसीदास हैं. जिन्हे अकबर ने एक जादूगर समझकर अपने जेल में कैद कर दिया था. लेकिन अंत में उसे तुलसीदास को रिहा करना पड़ा था जब हनुमान जी की वानर सेना ने अकबर के कारावास में उतपाच मचा डाला था. तब सम्राट अकबर को भी हनुमान भक्त तुलसीदास के आगे सिर झुकाना पड़ा था. हनुमान चालीसा लिखे जाने की कहानी बड़ी रोचक है आइये इसे विस्तार से जानते हैं.

अकबर ने तुलसीदास को जेल क्यों भेजा था

रामचरित मानस लिखने के बाद गोस्वामी तुलसीदास का पूरे क्षेत्र में बड़ा नाम हो गया था. वह खुद को सबसे बड़ा रामभक्त कहते थे. ऐसा कहा जाता है कि भगवान हनुमान जी ने स्वयं प्रकट होकर तुलसीदास को पूरी रामायण सुनाई थी जिससे उन्होंने रामचरित की रचना की थी.

ऐसी अफावह भी उडी थी कि तुलसीदास के एक जादूगर हैं, मुगल सम्राट अकबर को भी इसकी भनक लग गई थी. एक बार अकबर के शाही दरबान अब्दुल रहीम ख़ान-ए-ख़ाना और टोडर मल से हुई थी. उन दोनों ने गोस्वामी तुलसीदास से कहा था कि वो मुगल सम्राट अकबर की तारीफ में भी ग्रंथ की रचना करें उसका महिमामंडन करें मगर स्वाभिमानी तुलसीदास ने ऐसा करने से साफ़ मना कर दिया था.

इसके बाद अकबर ने उन्हें अपने दरबान में बुलाया था और कहा था 'सुना है तुम जादूगर हो, भगवान तुम्हे स्वयं आकर दर्शन देते हैं? तुम मुझे राम से मिलवाओ" इसके जवाब में तुलसीदास ने कहा ' भगवान सिर्फ अपने भक्तों को दर्शन देते हैं और आप उनमे से एक नहीं है'

पूरे दरबार के सामने अकबर की बेज्जती हो गई थी, वो नाराज हो गया और तुलसीदास को कैदखाने में बंद कर देने का हुक्म दिया

फतेहपुर जेल में हुई थी हमुमान चालीसा की रचना

तुलसीदास जब जेल में कैद हुए तो श्री राम और हनुमान जी की भक्ति में लीन हो गए. उन्होंने हनुमान जी पर आधारित चौपाई की रचना शुरू कर दी. यह अवधि भाषा में लिखी गई. तुलसीदास करीब 40 दिन तक अकबर की कैद में रहे इस दौरान उन्होंने 40 चौपाई लिखी। इसी लिए इसे हनुमान चालीसा कहते हैं. यानी हनुमान जी की चालीस चौपाई

जेल में 39 वां दिन था, 39 चौपाई पूरी हो गई थीं. तब तुलसीदास ने पूरी हनुमान चालीसा पढ़ी और स्वयं प्रभु ने उनकी रचना को सुना। कहा जाता है कि जब जेल में तुलसीदास हनुमान चालीसा सुना रहे थे तब वहां कई लोग मौजूद थे. और जब चौपाई समाप्त हुईं तो पूरा कारागाह खाली हो गया और वहां सिर्फ एक बुजुर्ग व्यक्ति बैठा रहा. और वह भी चमत्कारी रूप से गायब हो गया. थी जेल में बंदरों की सेना ने हमला कर दिया, अकबर की जेल में उथल-पुथल मचा कर रख दी, सब तहस-नहस कर दिया और तबतक नहीं रुके जबतक खुद अकबर को तुलसीदास के समक्ष आकर माफ़ी मांगनी पड़ी.

अकबर समझ गया कि श्रीराम और हनुमान जी की भक्ति में जो शक्ति है वो किसी मुग़लिया सुलतान के पास नहीं हो सकती। इसके बाद 40वें दिन तुलसीदास को जेल से रिहा कर दिया गया.

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