कलयुग के साक्षात देवता है श्री हनुमान, जानिए इनसे जुड़े अत्यंत रोचक रहस्य
हनुमान जी कलयुग के साक्षात देवता कहे गए हैं। इनकी महिमा अपरंपार है। आज के समय में हनुमान जी की पूजा करने से पुण्य फल की प्राप्ति होता है। वैसे तो कहा गया है की हनुमान जी की महिमा का वर्णन नहीं किया जा सकता। इसके बाद भी आज हम जानेंगे हनुमान जी के संबंध में कुछ बातें जो शायद आपको पता ना हो।
एक कल्प तक पृथ्वी पर श्री हनुमान का निवास
श्री हनुमान जी को भगवान श्री रामचंद्र जी का अनन्य भक्त कहा गया है कहा जाता है की भगवान श्री रामचंद्र जी ने हनुमान को एक कल्प तक रहने का आशीर्वाद देते हुए आदेश दिया था। एक कल्प कई युगों का चक्र। एक कल्प में कई युग समाहित है।
कई लोगों ने किए दर्शन
हनुमान जी का कई लोगों ने साक्षात दर्शन कर अपना जीवन धन्य किया है। राम युग में तो अनेक अनेक लोगों ने श्री हनुमान जी के दर्शन किए। शास्त्रों के अनुसार भीम और अर्जुन ने द्वापर युग में दो वही कलयुग में गोस्वामी तुलसीदास, समर्थरामदास, भक्त माधव दास, नीम करोली बाबा तथा राघवेंद्र स्वामी को कलयुग सम्राट श्री हनुमान जी के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
हनुमान जी का निवास
शास्त्रों के अनुसार हनुमान जी का मुख्य निवास स्थान नेपाल तिब्बत की सीमा पर स्थित गंधमादन पर्वत पर माना गया है। साथ ही कहा गया है कि जहां आप कहीं भी रामायण का पाठ होता है वहां साक्षात स्वरूप श्री हनुमान जी निवास करते हैं। साथ ही बताया गया है की जगन्नाथ पुरी में भगवान कि इस पूरी की रक्षा करने के लिए हनुमानजी सदैव विद्यमान रहते हैं।
हनुमान रामायण
आज के समय में रामायण के संबंध में लोगों का मानना है कि महर्षि वाल्मीकि ने प्रथम रामायण की रचना की लेकिन यह पूर्ण सत्य नहीं है। इसके पूर्व सर्वप्रथम श्री हनुमान जी ने संपूर्ण रामायण को शीला पर अपने नाखूनों से लिखा था जो हनुमान रामायण के नाम से विख्यात हुआ। लेकिन यह भी कहा जाता है की बाल्मीकि जी की निराशा देख श्री हनुमान जी ने उस शीला को समुद्र की गहराई में फेंक दिया था।
हनुमान जी के कई नाम
हनुमान जी की माता का नाम अंजना होने से उन्हें अंजनेय तथा अंजनी पुत्र कहा जाता है। इनके पिता सुमेरु पर्वत के राजा केसरी केसरी थे। ऐसे में इन्हें केसरी नंदन भी कहा जाता है। वायु के औरस पुत्र होने से इनका नाम पवन पुत्र भी है। इन्हें मारुति नंदन शंकर सुमन भी कहते हैं। हनुमान नाम के संबंध में बताया जाता है कि एक बार इंद्र के ब्रिज के प्रहार से इनकी ठुड्डी यानी हनु टूट गई थी। तब से इनका नाम हनुमान हो गया। वही वज्र धारण करने की वजह से इन्हें बजरंगबली कहा जाता है।
हनुमान जी के गुरु
वैसे तो हनुमान जी ने कई लोगों से शिक्षा ग्रहण की। इन्होंने सूर्य, नारद के अलावा मतंग मुनि से शिक्षा ली। श्री हनुमान जी का जन्म भी महान ऋषि मतंग जी के आश्रम हुआ। यह वही मतंग मुनि है जिनकी शिष्या माता शबरी हैं।
श्री हनुमान और श्री राम युद्ध
वैसे तो शास्त्रों में श्री राम और श्री हनुमान जी के बीच युद्ध का भी उल्लेख नहीं है। लेकिन किंवदंती है कि एक बार हनुमान जी और राम जी के बीच घोर युद्ध हुआ था। बताया जाता है की विश्वामित्र जी के कहने पर श्री राम ने राजा ययाति पर आक्रमण किया। वही ययाति हनुमान जी की शरण ले चुका था। ऐसे ही में दोनों के बीच युद्ध हुआ। हनुमान जी श्री राम जी का नाम जप कर शास्त्रों को विफल कर रहे थे। विश्वामित्र ने हनुमान जी की इस श्रद्धा को देखकर कर युद्ध का अंत करवाया।