अध्यात्म

Sawan Ka Jhula: सावन मास में क्यों झूला झूलते हैं? जानें क्या है पौराणिक मान्यताएं?

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Sawan Mei Jhoola Kyu Jhoolte Hain | सावन में झूला क्यों झूलते हैं? : जहां एक और सावन का महीना लगते ही शादी विवाह का कार्यक्रम बंद हो जाता है। वहीं शिव को समर्पित सावन के महीने में व्रत त्यौहार का सिलसिला शुरू हो जाता है।

Sawan Mei Jhoola Kyu Jhoolte Hain | सावन में झूला क्यों झूलते हैं? : जहां एक और सावन का महीना लगते ही शादी विवाह का कार्यक्रम बंद हो जाता है। वहीं शिव को समर्पित सावन के महीने में व्रत त्यौहार का सिलसिला शुरू हो जाता है।

बसे पहले तो सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ की पूजा करने का विशेष विधान बताया गया है। वही सावन के महीने में झूला झूलने का प्रचलन है। धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो इसका बड़ा महत्व बताया गया है। देवा स्थानों में सावन के महीने में झूला डाला जाता है। आखिर ऐसा क्यों है। आइए इसके बारे अपनी जानकारी प्राप्त करें।

कब से हुई इसकी शुरुआत

धार्मिक मान्यताओं और पुस्तकों की माने तो बताया गया है कि भगवान श्री कृष्ण ने राधा रानी को सावन के महीने में झूला झुलाया था। तब से यह परंपरा विकसित हुई। लोगों द्वारा भगवान श्री कृष्ण के इस परंपरा को लगातार आगे बढ़ाते जा रहे हैं। झूला झूलते समय भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी को याद करते हुए गीत गायन किया जाता है। अक्सर महिलाएं अभी भी सावन के पावन समय में इस प्रथा का निर्वहन कर रही हैं।

Sawan Mei Jhoola Julne Se Kya Hota Hai | सावन के खुले क्या है महत्त्व?

  • वही पौराणिक मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ द्वारा माता पार्वती के लिए झूला डाला था। भगवान भोलेनाथ ने स्वयं माता पार्वती को झूला झुलाया।
  • व्यवहारिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो सावन के महीने में जब चारों ओर हरियाली होती है उस समय व्यक्ति का मन अनायास ही प्रसन्न हो जाता है। इस प्रसन्न चित्त में अगर भगवान को याद किया जाए तो बिना प्रयास के ही ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • सावन के महीने में पड़ने वाले तीज त्योहारों पर मनभावन गीत गाए जाते हैं। वही भगवान श्री गणेश श्री कृष्ण उसको हिंडोले में झूलाने का महत्त्व बताया गया है।
  • कहा गया है की हरियाली तीज के पर्व पर अगर झूला न झुलाया जाए तो यह पर्व अधूरा होता है। झूला झूलने से प्रसन्न मन और अधिक प्रसन्न हो जाता है।
  • झूला झूलने से मूड अच्छा रहता है। शारीरिक और मानसिक थकावट दोनों ही दूर होती है। जानकारों का कहना है कि जब झूला झूलते समय शरीर आगे और पीछे की ओर हिलत पेंडुलम की तरह है झूलता है उस समय व्यक्ति को काफी रिलैक्स मिलता है।
  • बताया गया है कि झूला झूलने से हड्डियां और मसल्स मजबूत होते हैं। शरीर मजबूत बनता है और उसमें स्फूर्ति आती है। नियमित झूला झूलने से कंसंट्रेशन पावर बढ़ता है।
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