अध्यात्म

चरित्रहीन स्त्री के फेर में फंसने से बचना हो तो पढें़ आचार्य चाणक्य की यह नीति...

चरित्रहीन स्त्री के फेर में फंसने से बचना हो तो पढें़ आचार्य चाणक्य की यह नीति...
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वैसे तो आचार्य चाणक्य कहते है कि स्त्री जाति पूजनीय है। आचार्य ने स्त्री को  अपनी पुस्तक में देवी का स्थान दिया है। इसके बाद भी आचार्य कहते हैं कि हमें कुछ महिलाओं से सावधान रहना चाहिए। अन्था उनसे काफी नुक्सान हो सकता है। आमतौर चरित्रहीन चाहे वह महिला हो यह पुरूष जो समाज के बनाए नियमों को नही मानता या उसके हिसाब से आचरण नही करता है उसे चरित्रहीन कहा जाता है। कुचरित्र की वजह से अपने से जुड़े लोगों के जीवन पर गलत प्रभाव डालती हैं।

वैसे तो आचार्य चाणक्य कहते है कि स्त्री जाति पूजनीय है। आचार्य ने स्त्री को अपनी पुस्तक में देवी का स्थान दिया है। इसके बाद भी आचार्य कहते हैं कि हमें कुछ महिलाओं से सावधान रहना चाहिए। अन्था उनसे काफी नुक्सान हो सकता है। आमतौर चरित्रहीन चाहे वह महिला हो यह पुरूष जो समाज के बनाए नियमों को नही मानता या उसके हिसाब से आचरण नही करता है उसे चरित्रहीन कहा जाता है। कुचरित्र की वजह से अपने से जुड़े लोगों के जीवन पर गलत प्रभाव डालती हैं।

अगर बात महिलाओं की है तो समाज मे उसी को चरित्रवान माना जाता है जो स्त्री अपने से बडो का आदर सम्मान करते हुए अपने पति व परिवार को सुखी रखे। साथ ही कहा गया है कि वह परिवार के बनाए नियमों का पालन करे और अपने बच्चो को भी ऐसे ही संस्कार दे। अपने इष्टदेव की प्रतिदिन पूजा अर्चना करे। वही इसके विपरीत कार्य करने वाली महिला चरित्रहीन कहलाती है इनसे सावधान रहना चाहिए।

वही चरित्रहीन महिलाओं के सम्बंध मे कहा गया है कि यह एक से ज्यादा पुरुषों के सम्पर्क मंे रहती हैं और कई पुरूषों से प्यार करती हैं वह चरित्रहीन कहलाती हैं। चरित्रहीन महिलाओं के संबंध में बताया गाय है कि वह एक से अधिक पुरुषों से संबंध बनाने में शर्म नहीं करती। इनके मन में कुछ रहता है और इनकी जुबान पर कुछ और चल रहा होता है। इसनसे सदैव सावधान रहना चाहिए।

आचार्य की नीति कहती है कि ऐसी महिलाओं में लज्जा नाम की चीज नही होती हैं। उनका प्रयास अपने फायदे पर टिका होता है। यह किसी से प्यार नही करती है। उनका प्रयास होता है कि वह मात्र अपने उद्देश्य को पूरा करना। इसके लिए वो किसी भी हद तक जा सकती हैं। उनका प्रेमी, उनका साथी उनकी जरुरत के हिसाब से बदलता रहता है।

वहीं कहा गया है कि महिलाओं के चरित्र का पता उनके वस्त्रों से भी चलता है। महिलाओ को कपडे ऐसे पहनने चाहिए कि अंग प्रदर्शन न हो। अगर ऐसा नहीं है तो उसे चरित्रवान स्त्री नहीं कहा जा सकता। लेकिन आज के आधुनिक परिधान इसके विपरीत हैं।

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