Raksha Bandhan 2022: रक्षाबंधन कैसे मनाएं, जानें विधि और मंत्र
Raksha Bandhan Mantra 2022: रक्षाबंधन का त्यौहार नजदीक आ गया है। या यूं कहें कि अब तो उल्टी गिनती भी शुरू हो चुकी है। हर घर में रक्षाबंधन मनाने की तैयारी शुरू है। भाई-बहन का यह त्यौहार बड़े ही उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। भाई अपने बहन को बुलाने के लिए न्योता दे चुके हैं। बहनों ने भी भाई की कलाई पर राखी बांधने की तैयारी कर ली। वहीं जिन्होंने नहीं की है वह भी तैयारी में जुटे ही होंगे। आज हम इस समाचार के माध्यम से रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) का त्यौहार मनाने कि पूरी विधि आपसे साझा कर रहे हैं।
क्या है रक्षाबंधन
Raksha Bandhan Meaning: वैदिक नियम के अनुसार रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। लेकिन इस पूर्णिमा तिथि में भद्रा नहीं होना चाहिए। रक्षाबंधन नामक शब्द की शुरुआत रक्षा और बंधन दो शब्दों से मिलकर बना है। रक्षा शब्द का मतलब सभी समझते हैं। बंधन का मतलब बांधने से है। अब आपको भी समझ में आने लगा होगा कि रक्षाबंधन का मतलब रक्षा के लिए बहने भाई की कलाई पर रेशम के धागे से एक बंधन बांधती हैं।
बहन और भाई दोनों करते हैं एक दूसरे की रक्षा
Raksha Bandhan Importance: यह रेशम के धागे का बंधन पवित्र और शुभ मुहूर्त में बांधा जाता है। इस बंधन में बहन जहां अपने भाई से अपनी रक्षा का वचन लेती हैं वहीं भाई की कलाई में रक्षा सूत्र बांधकर बहन भाई की रक्षा के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती हैं।
क्योंकि बहन जानती हैं अगर हमारा भाई सुरक्षित रहा तो वह निश्चित तौर पर बहन के इस धागे का मान रखने के लिए हर संकट और विपत्ति के समय बहन का सहयोग करेगा।
क्या है विधि
Rakshabandhan 2022 Puja Vidhi: रक्षाबंधन का पर्व मनाने के लिए भाई और बहन दोनों को सुबह उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर अपने इष्ट देव की धूप, दीप, नैवेद्य से पूजा करें। भगवान को भी रोली कुमकुम और अक्षत का तिलक करें और उन्हें भी रक्षासूत्र बांधे।
इसके बाद इसी पूजा की थाली को सजा कर अपने भाई के कलाई में राखी बांधने के लिए उपयोग करें। बहन अपने भाई के माथे पर कुमकुम, रोली एवं अक्षत लगाकर तिलक करें। इसके बाद भाई की दाहिनी कलाई पर रेशम की डोरी यानी की राखी बांधे। इस दौरान एक मंत्र भी पढ़ा जाना चाहिए।
मंत्र जिसे राखी बांधते समय बोलें (Raksha Bandhan Mantra)
येन बद्धो बलीः राजा दानवेंद्रो महाबलः।
तेन त्वामभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।
भाई लें बहनों से आर्शीवाद
राखी बांधने के बाद बहन अपने भाई को मिष्ठान से मुंह मीठा करवाती हैं। वही भाई भी पूरे प्रेम भाव से बहन के चरणों में सिर झुका कर उससे आशीर्वाद ग्रहण करता है। याथ शक्ति उपहार देते हैं। कई जगह आज के चलन में कहा जाता है कि अगर बहन छोटी है तो वह भाई के पैर छुए। लेकिन ऐसा नहीं है।
हमारे वैदिक रीति रिवाजों में बहन या कहें कन्या को देवी का रूप माना गया है। इसलिए उससे कहीं भी किसी भी रूप में भाई के पैर नहीं छूने के लिए कहना चाहिए। हर भाई का धर्म है कि वह बहन के पैर छुए और उससे आशीर्वाद लें, भले ही बहन उम्र में छोटी क्यों न हो।
राखी बांधने का शुभ समय
Raksha Bandhan Shubh Muhurt: ज्योतिष आचार्यों का कहना है कि 11 अगस्त को सुबह 8ः50 से पूर्णिमा तिथि शुरू हो जाएगी। लेकिन यह पूर्णिमा तिथि में कुछ समय के लिए भद्राकाल है। ऐसे में राखी बांधने का समय 11 अगस्त को रात 8ः25 बजे से शुरू होकर दूसरे दिन 12 अगस्त को 7ः16 बजे तक है।