Neem Karoli Baba Story: नीम करोली बाबा की कहानी क्या है? उन्हें कंबल क्यों चढ़ाया जाता है, वजह हिला कर रख देगी
नीम करोली बाबा
Neem Karoli Baba, Neem Karoli Baba Story, Neem Karoli Baba ko kambal kyu chadhaya jata hai, नीम करोली बाबा, नीम करोली बाबा की कहानी, Neem Karoli Baba Kaun Hai: नीम करोली बाबा (Neem Karoli Baba Ki Kahani) का नाम आज देश ही नहीं विदेश के हर व्यक्ति के जुबान में है. उत्तराखंड स्थित कैंची (neem karoli baba ashram) धाम में बाबा नीम करौली के आश्रम में देश ही नहीं दुनिया के कोने कोने से लोग आशीर्वाद लेने आते है. नीम करोली बाबा (neem karoli baba mandir) के बारे में कई चमत्कारिक कहानी है जो वाकई में आपको चौका कर रख देगी. अपने चमत्कार से कई गरीबो को अमीर बनाने की क्षमता नीम करोली बाबा ने रखी है. नीम करोली बाबा में मत्था टेकने सिर्फ इंडिया क्रिकेट टीम के विराट कोहली ही नहीं. इससे पहले फेसबुक फाउंडर मार्क जुकरबर्ग, एप्पल के को-फाउंडर स्टीव जाब्स जैसे लोग भी पहुंच चुके है. नीम करौली बाबा के चमत्कार के किस्से सुनने और अपनी परेशानियों को दूर करने के लिए हर दिन लाखो श्रद्धालू नीम करौली बाबा के आश्रम कैची धाम पहुंचते है. कहा जाता है की नीम करोली बाबा पवन पुत्र हनुमान के अवतार माने जाते है. कैची धाम में श्रद्धालु कम्बल चढ़ाते है.
कंबल चढाने की कहानी Neem Karoli Baba me kambal chadhane ki manyataye, नीम करोली बाबा मंत्र
जैसा की आप लोगो को लगता होगा की कैची धाम यानि नीम करोली बाबा के आश्रम में अक्सर ठण्ड रहती है इस वजह से वहां के करोली बाबा अक्सर कम्बल ओढ़कर रखा करते थे. लेकिन ठंडी का इन सब चीज़ो से कोई लेना देना नहीं था. दरअसल नीम करोली बाबा के साथ कम्बल से जुडी कुछ ऐसी चीज़ हुई जिसका किस्सा आज सदियों तक लोगो की जुबान में है. इस घटना का जिक्र एक किताब 'मिरेकल ऑफ लव' में भी किया गया है.
Neem Karoli Baba Story, नीम करोली बाबा की कहानी, नीम करोली बाबा के चमत्कार
किताब 'मिरेकल ऑफ लव' में इस घटना का जिक्र करते हुए बताया गया की नीम करोली बाबा (neem karoli baba nainital) को चाहने वाले लाखो करोडो में भक्त है. ऐसे में कई सालो से उन्हें चाहने वाले अंधे भक्त थे. जो उनके एक इशारे में कुछ भी कर गुजरते थे. किताब में विस्तार से कहानी लिखते हुए बताया गया की एक दिन नीम करोली बाबा अपने एक बुर्जग दंपति भक्त के घर पहुंचे। और कहा की आज की रात वो यही विश्राम करेंगे. चूँकि दम्पति गरीब था और उन्हें लगा की वो कैसे अपने बाबा का सत्कार करेंगे।
फतेहगढ़ के बुजुर्ग दम्पति ने बाबा के रुकने का इंतज़ाम किया और भोजन की व्यवस्था करते हुए उन्हें सोने के लिए चारपाई और कंबल दिया. बताया जाता है की पूरी रात उस कम्बल को ओढ़कर बाबा नीम करोली (neem karoli baba kainchi dham) कराह रहे थे. बुजुर्ग दम्पति को ऐसा लग रहा था की बाबा के साथ कोई घटना हो रही है. जैसे तैसे वो रात गुजरी और फिर दम्पति से बाबा सुबह मिलते है और कहते है की यह कम्बल को खोलना मत और बिना खोले गंगा में बहा आओ. किताब में विस्तार से कहानी को बताया गया है और दम्पति ने बताया की मानो ऐसा लग रहा था की बाबा ने कम्बल में ढेर सारे लोहा डालकर दे दिया हो. क्योकि कम्बल का भार बहुत ज्यादा था.
दरअसल जिस कम्बल को बहाने के लिए बाबा ने बुजर्ग दम्पति को दिया था. वो कम्बल को किताब में बुलेटप्रूफ कम्बल कहा गया है. बताया जाता है की जिस घर में बाबा ने शरण ली थी. उन बुजर्ग दम्पति का एक बेटा था जो इस बुजुर्ग दंपत्ति का एक ही बेटा था जो ब्रिटिश फौज में कार्यरत था. बताया जाता है की उस समय दूसरा विश्वयुद्ध चिढ़ा था और बुजुर्ग दम्पति चाहते थे की उनका एक लौटा बेटा सही सलामत घर लौट आये. किताब 'मिरेकल ऑफ लव' में युवक का जिक्र करते हुए बताया गया था की उस युद्ध में सारे लोग मारे गए थे. युद्ध के एक महीने बाद बेटा घर लौटा और अपने माता पिता से कहता है की वो कैसे बच गया उसे खुद पता नहीं. उसने बताया की वो दुश्मनो से घिर गया था और उसके ऊपर गोलीबारी हुई लेकिन एक भी गोली उसे नहीं लगी. उस रात जब बाबा नीम करोली बाबा कराह रहे थे वो सारी गोलियां अपने ऊपर ले रहे थे. इस तरह से बाबा नीम करोली के चमत्कार की बात आज भी भक्तो के जुबान में है. इसलिए मान्यता के अनुसार लोग नीम करोली बाबा को कम्बल चढ़ाते है.