Navratri 2021: शक्ति की उपासना का समय है नवरात्रि, हर राज्यों में अलग-अलग विधि से होती है माता की उपासना
Navratri 2021: आज 7 अक्टूबर (गुरुवार) से देश भर में नवरात्रि (Navratri) शुरू हो चुकी है। पितृ पक्ष (Pitru Paksha) समाप्त होते ही नवरात्रि में मां दुर्गा (Maa Durga) की पूजा का आयोजन शुरू हो जाता है। लोग विधि विधान से 9 दिनों तक माता की पूजा में लीन हो जाते हैं। लेकिन इतने बड़े देश में अलग-अलग राज्यों में जिस तरह भाषा-बोली अलग है। उसी तरह नवरात्रि का आयोजन भी अलग-अलग ढंग से होता है। आज के समय में भी मां की उपासना के अलग-अलग विधान है। आज हम इन्हीं विधान के बारे में जानने का प्रयास करेंगे।
एक भक्ति-एक शक्ति फिर भी पूजा विधान अलग-अलग
नवरात्रि (Navratri 2021) में देश का चाहे कोई भी राज्य हो हर जगह माता दुर्गा (Maa Durga) के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। पूजा करने का ढंग अलग हो सकता है लेकिन हर व्यक्ति द्वारा उपासना उसी शक्ति स्वरूपा माता दुर्गा की होती है। इस वर्ष नवरात्रि (Navratri 2021) का आयोजन 7 अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक होगा।
उत्तर प्रदेश और बिहार में नवरात्रि उत्सव
उत्तर प्रदेश और बिहार के रीति-रिवाज, बोल-चाल में काफी समानता है। ऐसे में यहां कि नवरात्रि उत्सव के आयोजन भी मिलता-जुलता है। राज्यों में नव दुर्गा उत्सव (Nav Durga Utsav) पूरे 9 दिन का होता है। नवरात्रि के समय माता के पंडालों को सजाया जाता है। माता की प्रतिमा स्थापित कर पूरे विधि विधान से पूजा होती है। रात्रि के समय रामलीला (Ramleela) का आयोजन किया जाता है।
बंगाल और असम में नवरात्रि
देश के पश्चिमी क्षेत्र पश्चिम बंगाल और उससे जुड़े हुए असम में दुर्गा पूजा विधि विधान से मनाई जाती है। आमतौर पर दोनों राज्यों में दुर्गा, गणेश, कार्तिकेय, सरस्वती व लक्ष्मी की स्थापित करने की परंपरा है। बंगाल में दुर्गा उत्सव (नवरात्रि) विश्व विख्यात है।
राजस्थान, गुजरात में नवरात्रि का आयोजन
देश के इन दो राज्यों में उत्सव त्योहारी सीजन की माना जाता है। राजस्थान का नवरात्रि मेला दशहरा उत्सव अत्यंत लोकप्रिय है। वहीं गुजरात में भी दुर्गा उत्सव पूरे 9 दिनों तक आयोजित होता है। साथ ही नवरात्रि के समय गरबा (Garba) मुख्य रूप से किया जाता है।
आंध्र प्रदेश व कर्नाटक में नवरात्रि
आंध्र प्रदेश में नव दुर्गा उत्सव (नवरात्रि) के समय महिलाएं देवी मां गौरी की पूजा करते हैं। देवी मां की पूजा के लिए महिलाएं फूलों का एक ढेर बनाकर उसे सजाती हैं या यूं कहा जाए की फूलों से फूलों को सजाया जाता है। वहीं कर्नाटक में मैसूर दशहरा अत्यंत खुशी के साथ राजा वोडेयार द्वारा विकसित परंपरा के अनुसार मनाया जाता है। वही दसवीं के दिन जुलूस जिसमें चामुंडेश्वरी माता की हाथी पर सवारी निकाली जाती है। जो आकर्षण का केंद्र होती है दूर-दूर से लोग चामुंडेश्वरी देवी की सवारी देखने के लिए पहुंचते हैं।