Nagvasuki Temple: नागवासुकि मंदिर है अनोखा, कालसर्प दोष से मिलती है मुक्ति, दुनिया भर से पहुँचते हैं लोग
Nagraj Vasuki Temple: नागवासुकि मंदिर की महिमा सावन महीने के साथ ही नागपंचमी (Nagapanchami) पर्व पर बढ़ जाती है। यह दुनिया का अनोखा मंदिर है। जो कि उत्तर-प्रदेश के प्रयागराज दारागंज (Prayagraj) में स्थित है। ऐसी मान्यता है कि मंदिर में विग्रह के दर्शन मात्र से पाप का नाश होता है. वहीं, कालसर्प के दोष (Kalsarp Dosha) से भी मुक्ति मिलती है।
दूर-दूर से पहुंचते हैं भक्त
वैसे तो वर्ष भर मंदिर में भक्त कम ही संख्या में पहुँचते हैं, लेकिन सावन और नागपंचमी में भक्तों का मंदिर में सैलाब पहुचता है। देश के दूर-दराज क्षेत्रों से भक्त मंदिर में पहुँच कर पूजा -अर्चना करते है। यही वजह है कि नागपंचमी पर्व पर यहाँ मेला जैसा लगता है। भक्त मंदिर में पहुँच कर दर्शनलाभ लेने के साथ ही पूजा-अर्चना करते हैं।
विश्व का प्रतिष्ठित है मंदिर
बताते है कि अपने अनूठे वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध नागवासुकि मंदिर (Nagavasuki Mandir) , विश्व का इकलौता मंदिर है, जिसमें नागवासुकि की आदमकद प्रतिमा है। मंदिर के पूर्व-द्वार की देहली पर शंख बजाते हुए दो कीचक बने हैं, जिनके बीच में लक्ष्मी के प्रतीक कमल दो हाथियों के साथ बने हैं. इसकी कलात्मकता सबसे अधिक आकर्षित करती है, नागवासुकि का विग्रह भी आकार-प्रकार में कम सुंदर नहीं है, इसमें नाग देवता को ही केंद्र में प्रतिष्ठित किया गया हो. इस दृष्टि से नागवासुकि मंदिर असाधारण महत्ता रखता है।
नासिक के मंदिर से जुड़ी है परम्परा
बताते है कि प्रसिद्ध नागवासुकि मंदिर की परंपरा महाराष्ट्र के नासिक की गोदावरी तट पर स्थित पैष्ण तीर्थ से जुड़ती है। ज्ञात हो कि असम के गुवाहाटी में नवग्रह-मंदिर ब्रह्मपुत्र के उत्तर तट पर स्थित है, वैसे ही प्रयागराज में नागवासुकि मंदिर भी गंगा के तट पर स्थित है।
कालसर्प दोष के लिए इस मंदिर की ख्याति है
ऐसी धारणा है कि प्रयागराज के नागवासुकि मंदिर में विशेष पूजा करने से कालसर्प दोष का शमन हो जाता है और व्यक्ति के जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। वैसे तो कालसर्प दोष निवारण के लिए देश के कई मंदिरों में पूजा होती है, लेकिन वहां पर नागवासुकि मंदिर नहीं है, इसलिए दोष निवारण के लिए प्रयागराज की विशेष ख्याति है।