Mahabharat Stories : क्या आपको पता है कौन है दुर्योधन की पत्नी ? जाने उसके विवाह का रहस्य व कितने थे उसके बच्चे..
भानुमति
महाभारत (Mahabharat) का नाम आते ही भयंकर युद्ध का प्रतिबिंब मन और दिमाग में बनने लगता है। साथ ही पांडव और कौरव दो पक्ष सामने आ जाते हैं। ऐसा इसलिए है की महाभारत के यही दो मुख्य पात्र रहे। पांडवों में जहां भाइयों का नाम उनकी पत्नी और बेटों का नाम सामने आता है लेकिन कौरवों में केवल दुर्योधन बस का नाम सबसे ज्यादा लिया गया। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या दुर्योधन का विवाह हुआ था ? क्या दुर्योधन के औलाद थी,? अगर विवाह हुआ था तो किससे कहां और कैसे हुआ था ? इनके सम्बंध में जानने की मन में सदैव इच्छा बनी रहती है। आज हम दुर्योधन के के संबंध में आवश्यक जानकारी दे रहे हैं।
दुर्योधन का विवाह
आमतौर लोगों को दुर्योधन के विवाह के संबंध में जानकारी न होने से लोग मानते हैं दुर्योधन का विवाह हुआ ही नहीं था। लेकिन ऐसा नहीं है दुर्योधन विवाहित था। कहा तो यहां तक जाता है दुर्योधन की पत्नी का व्यवहार दुर्योधन से बिल्कुल विपरीत था। दुर्योधन हठी और लड़ाकू प्रवृत्ति का पर्याय बन चुका था। लेकिन उसकी पत्नी बहुत ही सौम्य और सुशील थी।
कहां हुआ था दुर्योधन का विवाह
जानकारी के अनुसार दुर्योधन का विवाह काम्बोज के राजा चंद्र वर्मा की पुत्री से हुआ था। इनकी पुत्री का नाम भानुमति था। यह अत्यंत गुणवान और रूपवान थी। कहा जाता है कि भानुमति का रूप सौंदर्य ऐसा था के वह एक बार उसे देखने के बाद नजर नही नही हटती थी।
ऐसे हुआ दुर्योधन से विवाह
बताया जाता है की भानुमति की सुंदरता को देखकर उनके पिता राजा चंद्र वर्मा ने उनके विवाह के लिए स्वयंवर का आयोजन किया। जिसमें भानुमति को स्वतंत्रता दी गई के वाह अपने इच्छा अनुसार वर का वरण करें। इसके लिए राजा चंद्र वर्मा ने देश के बड़े-बड़े राजाओं को आमंत्रित किया। इस आमंत्रण में राजा शिशुपाल, जरासंध, रुकमी, वक्र, दुर्योधन जैसे राजा शामिल है।
विवाह के लिए निश्चित दिनांक पर आमंत्रित सभी राजा उपस्थित हुए। इसमें दुर्योधन भी शामिल हुआ था। इस स्वयंवर में दुर्योधन ने अपने साथ अपने मित्र कर्ण को भी ले गया था। सभी राजाओं के उपस्थित होने के पश्चात स्वयंवर का कार्यक्रम प्रारंभ हुआ और राजकुमारी भानुमति हाथ में जयमाल लिए सभा में उपस्थित हुईं।
आश्चर्यचकित हो गया दुर्योधन
कहां जाता है की राजकुमारी भानुमति के रूप सौंदर्य को देखकर दुर्योधन आश्चर्यचकित हो गया। उसकी दशा कुछ ऐसी हो गई कि वह एक पल के लिए अपना होश खो बैठा था। ऐसे में दुर्योधन ने निश्चित किया कि वह भानुमति का अपहरण करेगा।
भानुमति का अपहरण
कुछ क्षण विचार करने के पश्चात दुर्योधन अपनी सोच को मूर्त रूप देते हुए भानुमति का अपहरण कर लिया। इस दौरान उपस्थित अन्य राजाओं ने विरोध किया वही भानुमति के पिता चंद्रवर्मा ने भी विरोध जाहिर किया। हालात युद्ध जैसे बनने लगे लेकिन दुर्योधन के साथ रहे कर्ण ने अपने बाहुबल से सभी की बोलती बंद कर दी। और भानुमति को दुर्योधन अपने साथ हस्तिनापुर ले गया।
दुर्योधन के थी दो संतान
वहां दोनों साथ-साथ रहने लगे। दुर्योधन और भानुमति साथ साथ जीवन बिताने लगे। भानुमति से दुर्योधन के दो संतान पैदा हुई जिसमें 1 पुत्र और एक पुत्री थे। पुत्र का नाम लक्ष्मण और पुत्री का नाम लक्ष्मणा रखा गया।
बताया जाता है की महाभारत युद्ध में अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु ने दुर्योधन के पुत्र लक्ष्मण का बध कर दिया था। वही दुर्योधन की पुत्री लक्ष्मणा का विवाह कृष्ण के पुत्र सॉब के साथ हुआ था।