Krishna Janmashtami 2022: भगवान श्रीकृष्ण का ऐसा अलौकिक मंदिर, जहां 10 बार लगता है भोग, भोजन में हुई देरी तो मूर्ति हो जाती है दुबली
Krishna Janmashtami 2022: जन्माष्टमी का पर्व पूरे देश में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। देशभर में भगवान श्री कृष्ण की एक से बढ़कर एक अलौकिक मंदिर और मूर्तियां है। आस्था के इन स्थलों पर देश-विदेश से भक्तों का आना जाना लगा रहता है। लेकिन हमारे देश में भगवान श्री कृष्ण का एक अलौकिक मंदिर मौजूद है। यहां भगवान को 10 बार भोग लगाया जाता है। अगर भोग लगाने में देरी हुई तो भगवान श्री कृष्ण भूख से व्याकुल हो जाते हैं। और तो और यहां तक बताया जाता है कि अगर भूख लगने में देरी हुई तो मंदिर में स्थापित मूर्ति दुबली हो जाती है। इसलिए मंदिर में कई तरह की व्यवस्थाएं की गई है। आइए जाने इस मंदिर के बारे में।
कहां है यह मंदिर
यह मंदिर भारत देश के केरल राज्य में कोट्टायम जिले में तिरुवेरपु में मौजूद है। इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति विराजमान है। बताया जाता है कि यह 1500 वर्ष पुराना है। भगवान श्री कृष्ण की पूजा यहां विधि विधान से हुआ करती है। लेकिन इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण की पूजा के लिए देश के अन्य मंदिरों की अपेक्षा कुछ अलग ही नियम निर्धारित किए गए हैं।
10 बार लगता है भोग
भगवान श्री कृष्ण को यहां 10 बार भोग लगाया जाता है। कहते हैं कि यहां विराजमान भगवान श्री कृष्ण को भूख बहुत लगती है। प्रचलित कथाओं में कहा गया है कि जब भगवान श्री कृष्ण ने कंस को मारा था उसके बाद वह बहुत भूखे हो गए थे। उनकी यह भूख आज ही बनी हुई है। इसलिए यहां भगवान को 24 घंटे में 10 बार भोग लगाया जाता है।
प्रसाद हो जाता है कम
इस अलौकिक मंदिर एक प्रमाण यह भी मिलता है कि आज भी जब भोग भगवान के सामने रख दिया जाता है। तो वह भोग प्रसाद धीरे-धीरे कम होने लगता है। मान्यता है कि भगवान इसे स्वयं ग्रहण करते हैं। साथ ही मान्यता है कि यहां जो भी भक्त भगवान को भोग चढ़ाते हैं उन्हे कभी भी भोजन की कमी नहीं होती।
दुबली हो जाती है मूर्ति
यहां विराजमान भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति के संबंध में यह भी बताया जाता है कि अगर भगवान को भोजन देने में जरा भी विलंब कर दिया जाए तो भगवान भूख से कि व्याकुल हो जाते हैं। और तो और लोगों का कहना है कि मंदिर में विराजमान भगवान की मूर्ति दुबली हो जाती है। ऐसे में मंदिर के पुजारी भगवान के भोग का पूरा ख्याल रखते हैं।
2 मिनट के लिए बंद होता है मंदिर
भगवान को विधिवत भोग लगता रहे इसके लिए मंदिर को 24 घंटे में मात्र 2 मिनट के लिए बंद किया जाता है। ग्रहण के समय भी इस मंदिर के पट बंद नही होते हैं। साथ ही मंदिर के पुजारी को कई अधिकार दिए गए। मंदिर के पुजारी के पास एक कुल्हाड़ी होती है। ऐसा इसलिए किया गया है कि अगर ताला खोलने में थोड़ी भी देरी हो जाए तो कुल्हाड़ी से ताले को काटकर भगवान का सेवा पूजा और प्रसाद चढ़ाया जा सके।