Jagannath Rath Yatra 2022: जानिए क्यों रथयात्रा से पहले बीमार हो जाते हैं भगवान जगन्नाथ?
Why does Lord Jagannath suffer from fever?: जगन्नाथ रथ यात्रा बहुत ही विशाल होती है देश के लोग तो इसमें शामिल होते हैं साथ-साथ विदेशी लोग भी इसमें भाग लेते हैं। इस वर्ष 1 जुलाई से जगन्नाथ रथ यात्रा शुरू होगी, क्या आप जानते हैं कि रथ यात्रा शुरू होने के 15 दिन पूर्व यानी जेठ की पूर्णिमा के दिन मंदिर के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं। जी हां! और इसके पीछे यह मान्यता है कि इन 15 दिनों में भगवान जगन्नाथ बीमार हो जाते हैं, इसलिए वो आराम करते हैं और कोई भी उनके दर्शन नहीं कर सकता। इस मान्यता से जुड़ी एक रोचक कथा भी है, तो चलिए जानते हैं, इस कथा के बारे में:
भगवान जगन्नाथ की पौराणिक कथा
प्राचीन पुराणों की कथा के अनुसार जगन्नाथ भगवान (Lord Jagannath) की एक परम भक्त थे माधव दास। माधवदास जब छोटे थे तभी उनके माता-पिता स्वर्गवासी हो गए, जिसकी वजह से उन्हें बचपन में बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन वो भगवान के परम भक्त थे, उनकी भक्ति में कोई भी कमी नहीं आई। जब वह बड़े हुए तो उनका विवाह हो गया और विवाह के कुछ समय बाद ही उनकी धर्मपत्नी का स्वर्गवास हो गया इन सब विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भी उन्होंने अपनी भक्ति नहीं छोड़ी और तन और मन से भगवान जगन्नाथ की भक्ति करते रहे।
किसी से भी नहीं ली मदद
एक बार की बात है माधव दास बहुत बीमार हो गए, मंदिर में कार्य कर रहे सेवकों ने उनकी मदद करनी चाहिए लेकिन उन्होंने मदद लेने से मना कर दिया। बीमारी की वजह से बहुत कमजोर हो गए थे, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने जगन्नाथ भगवान की सेवा में कोई कमी नहीं छोड़ी। एक बार वो पूजा करते करते बीमारी और कमजोरी की वजह से बेहोश भी हो गए । भगवान जगन्नाथ ने अपने भक्त की ये दशा देखी तो तुरंत ही सेवक के रूप में आए और माधव दास की सेवा करने लगे।
माधव दास भगवान जगन्नाथ के परम भक्त थे, इसलिए वो जान गए कि स्वयं भगवान ही उनकी सेवा कर रहे हैं और जल्दी ही वे ठीक भी हो गए।
उन्होंने भगवान से आग्रह किया दर्शन देने के लिए जिस पर भगवान ने उन्हें दर्शन दिए। तब माधवदास भगवान के चरणों में गिरे और उनसे क्षमा याचना करने लगे, और साथ ही उनसे कहा कि मैं आपका दास हूं मुझे आपकी सेवा करनी चाहिए भगवान को दास की सेवा नहीं करनी चाहिए।
जब माधवदास ने भगवान से पूछा ये प्रश्न
माधव दास जी ने भगवान से प्रश्न किया कि आप तो स्वयं भगवान हैं तो आपने मेरी सेवा क्यों की? मैं तो ऐसे ही आपके छूने मात्र से सही हो सकता था। तब भगवान ने उनको उत्तर दिया कि अगर तुम अभी कष्ट ना उठाते, तो अगले जन्म में तुम्हे ये कष्ट सहना पड़ता क्योंकि हर व्यक्ति को अपने कर्मों का फल भुगतना पड़ता है, यही कारण है कि मैंने तुम्हारी सेवा की और कष्ट की जो चंद दिन तुम्हारे जीवन में और बच गए थे उन्हें मैंने वापस ले लिया है।
ऐसा उत्तर देकर भगवान जगन्नाथ वहां से चले गए। तभी से 15 दिनों के लिए भगवान जगन्नाथ बीमार हो जाते हैं और किसी को दर्शन नहीं देते। भगवान जगन्नाथ इन दिनों एकांतवास में रहते हैं और 15 दिनों के पश्चात उनकी रथ यात्रा की शुरुआत होती है।