रंभा तीज की रोचक कथा, रूप सौन्दर्य एवं सौभाग्य प्राप्ति के लिए सुनी जाती है
Rambha Tritiya Vrat Katha/ Rambha Tritiya 2022: ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाने वाली रंभा तीज का बहुत महत्व है। यह तिथि रूप सौन्दर्य की अप्सरा रंभा के लिए समर्पित है। पुराणों के अनुसार समुद्र मंथन के समय रंभा प्रकट हुए थें। रंभा स्त्री के सौदर्य को प्रकट करती हैं।
मिलता है सुन्दर रूप
कथाओं के अनुसार रंभा तीज के दिन माता रंभा की पूजा करने से सौंदर्य प्राप्त होता है। तो वहीं कुंवारी कन्याओं को मनभावन वर प्राप्त होता है, जबकि सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पढते है यह कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार पृथ्वी का निर्माण करने के लिए एक बार बम्हा जी नारायण से बात कर रहे थें। भगवान विष्णु पृथ्वी निर्माण को लेकर विचार करने लगें। इस पर माता लक्ष्मी नारायण से नाराज हो गई। वे समुद्र की गहराईयों में चली गई। लक्ष्मी जी के इस कदम से तमाम त्राहि-त्राहि मच गई। संसार के संचालन के लिए लक्ष्मी का होना बहुत जरूरी था।
ऐसे में भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन कराने के निर्णय लिया, लेकिन समुद्र मंथन के लिए कोई भी तैयार नही था। ऐसे में विष्णु जी ने अमृत का सभी को लालच दिया। जिसके बाद देवताओं और दानवों ने मंदार पर्वत की सहायता से मंथन शुरू कर दिये। इस मंथन से 14 रत्न निकले। जिसमे रंभा भी थी। वे बहुत ही सुंदर थी। यानि की सबसे आखिरी में माता लक्ष्मी बाहर आयी। कहते है कि ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष के दिन माता रंभा अवतरित हुई थी। यही वजह है कि यह तिथि माता रंभा के नाम समर्पित है। इस वर्ष यह तिथि 2 जून को पड़ी है।