अध्यात्म

महाभारत के युद्ध को अपनी दिव्यदृष्टि से देखने वाले संजय की मृत्यु कैसे हुई थी

महाभारत के युद्ध को अपनी दिव्यदृष्टि से देखने वाले संजय की मृत्यु कैसे हुई थी
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महाभारत के युद्ध को संजय ने अपनी दिव्यदृष्टि से देखा था और उसका एक-एक अंश हस्तिनापुर के राजा धृतराष्ट्र को सुनाया था।

Mahabharat Me Sanjay Ki Mrityu Kaise Hui Thi? द्वापरयुग में महाभारत का युद्ध कौरवों और पांडवों के बीच हुआ था इस युद्ध (Mahabharat Yuddh) को उस समय का सबसे भीषण युद्ध माना जाता है जिसे कुरुक्षेत्र में लड़ा गया था। पूरे अखंड भारतवर्ष के विभिन्न राज्यों की सेनाएं उस दिन दो गुटों में बंट गई थी आधी पांडवों की ओर तो आधी कौरवों की तरफ। कहते हैं इस भीषण युद्ध को केवल दो ही व्यक्तियों ने अपनी आँखों पूरी तरफ देखा था। पहले हैं महाबली भीम के पोते घटोत्कच पुत्र बर्बरीक और दूसरे हैं राजा धृतराष्ट्र के सारथि संजय। संजय अपनी स्पष्ट बात कहने के लिए भी जानें जाते थे।

संजय कौन थे

Sanjay Koun The? संजय धृतराष्ट्र की राजसभा के सम्मानित सदस्य थे। वे गावाल्गण नामक सूत के पुत्र थे जो की बुनकर जाती से आते थे। तथा उन्होंने महर्षि व्यास से शिक्षा प्राप्त की थी संजय अपनी बुद्धिमता के लिए भी प्रसिद्ध थे। तथा स्वाभाव से काफी विनम्र और धार्मिक थे।

संजय को दिव्यदृष्टि कैसे प्राप्त हुई

Sanjay Ko Divyadrishti Kaise Prapt Hui Thi? पांडवों-और कौरवों के बीच जब महाभारत का युद्ध तय हो गया और जब यह भी निश्चय हो गया की इस भीषण युद्ध को रोका नहीं जा सकता है तब धृतराष्ट्र भी इस युद्ध को देखना चाहते थे, उसी समय उनकी महासभा में महर्षि वेदव्यास जी आये हुए थे जिन्होंने धृतराष्ट्र के सारथि संजय को दिव्यदृष्टि प्रदान की थी। जिससे संजय ने महाभारत के युद्ध के एक-एक अंश को देखा था और उसके बारे में महाराज धृतराष्ट्र को बताया था।

संजय की मृत्यु कैसे हुई थी

Sanjay Ki Mrityu Kaise Hui Thi? महाभारत का युद्ध समाप्त होने के बाद जब पांडवों की विजय हुई और कोई भी कौरव नहीं बचा तो महाराज धृतराष्ट्र और उनकी पत्नी गांधारी व कुंती भी वन में चले गए थे तब संजय भी उनके साथ गए हुए थे। और वे वहीँ अपने महाराज की सेवा करते थे लेकिन एक दिन वन में आग लग गई जिस कारण सभी के साथ संजय की भी भयंकर आग में जलने से मृत्यु हो गई थी।

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