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HOLI 2024: आज होलिका दहन, 9 बड़े शुभ योगों में जलेगी होली, कल रंगों का त्योहार; जानिए होलिका दहन का समय

Neelam Dwivedi | रीवा रियासत
24 March 2024 10:14 AM IST
Updated: 2024-03-24 10:19:04
Holi, Holika Dahan 2024
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Holi, Holika Dahan 2024

HOLI 2024: रंगों का त्योहार होली से पहले मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान होलिका दहन है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

Holi, Holika Dahan 2024: इस साल यानी 2024 में 24 मार्च को होलिका दहन और 25 मार्च को रंगों वाली होली खेली जाएगी। ज्योतिषियों के अनुसार इस साल होलिका दहन पर भद्रा का अशुभ काल रात 10:50 बजे तक रहेगा। अलग-अलग शहरों में ये समय कुछ मिनट आगे-पीछे हो सकता है, इसलिए रात 11 बजे बाद होली जलानी (Holika Dahan Timing) चाहिए।

होलिका दहन का समय:

  • 24 मार्च को रात 11 बजे के बाद।
  • भद्रा का अशुभ काल रात 10:50 बजे तक रहेगा।
  • शहरों में समय कुछ मिनट आगे-पीछे हो सकता है।

पूर्णिमा तिथि:

  • 24 मार्च को सुबह 9:30 बजे तक चतुर्दशी।
  • 24 मार्च को शाम को पूर्णिमा शुरू।
  • 25 मार्च को दोपहर 12:30 बजे तक पूर्णिमा।

9 बड़े शुभ योग:

  • सर्वार्थसिद्धि, लक्ष्मी, पर्वत, केदार, वरिष्ठ, अमला, उभयचरी, सरल और शश महापुरुष योग।
  • पिछले 700 सालों में ऐसा शुभ संयोग नहीं दिखा।
  • परेशानियां और रोग दूर होंगे।
  • समृद्धि और सफलतादायक रहेंगे।

क्या असर होता है इन शुभ योगों का

  • सर्वार्थसिद्धि: इस योग के प्रभाव से हर काम में सफलता और फायदा मिलता है।
  • लक्ष्मी: अपने नाम के मुताबिक इस योग से धन लाभ होता है।
  • पर्वत: ये योग भाग्यशाली बनाता है। इसका विशेष फायदा राजनीति से जुड़े लोगों को होता है।
  • केदार: ये योग यश, वैभव और राजसत्ता देने वाला माना जाता है।
  • वरिष्ठ: इस योग से किस्मत का साथ, सफलता और प्रसिद्धि मिलती है।
  • अमला: ये योग भौतिक सुख और पद-प्रतिष्ठा बढ़ाने वाला होता है।
  • उभयचरी: इस योग के प्रभाव से आर्थिक समृद्धि और किस्मत का साथ मिलता है।
  • सरल: ये योग दुश्मनों पर जीत दिलाने वाला होता है। इससे पराक्रम बढ़ता है।
  • शश महापुरुष: इस योग के प्रभाव से उम्र बढ़ती है। नौकरी और बिजनेस में तरक्की होती है।

होलिका दहन का महत्व:

रंगों का त्योहार होली से पहले मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान होलिका दहन है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होलिका दहन के पीछे कई धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व हैं:

धार्मिक महत्व:

हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद की कथा: होलिका दहन, भक्त प्रह्लाद और उसके पिता हिरण्यकश्यप की कहानी से जुड़ा हुआ है। हिरण्यकश्यप, जो स्वयं को भगवान मानता था, चाहता था कि उसका पुत्र प्रह्लाद भी उसकी पूजा करे। लेकिन प्रह्लाद, भगवान विष्णु का भक्त था। हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को, जो आग में जलने से अजर थी, प्रह्लाद को जलाने का आदेश दिया। लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गया और होलिका जल गई।

बुराई पर अच्छाई की जीत: होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह हमें सिखाता है कि चाहे कितनी भी शक्ति हो, अंत में सदाचारी और भक्तों की ही जीत होती है।

सांस्कृतिक महत्व:

वसंत का आगमन: होलिका दहन वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक भी है। सर्दियों के बाद, जब प्रकृति नई ऊर्जा से भर जाती है, तो होली का त्योहार मनाया जाता है।

नए साल की शुरुआत: कुछ समुदायों में, होली को नए साल की शुरुआत के रूप में भी देखा जाता है। यह समय पुराने को छोड़कर नया शुरू करने का होता है।

भाईचारा और एकता: होली का त्योहार लोगों को एकजुट करता है और भाईचारे का संदेश देता है। लोग एक दूसरे के साथ रंग खेलते हैं और मिठाइयां बांटते हैं।

Neelam Dwivedi | रीवा रियासत

Neelam Dwivedi | रीवा रियासत

नीलम द्विवेदी जर्नलिज़्म से स्नात्कोत्तर हैं। 2016 से रीवा रियासत डॉट कॉम में बतौर कंटेंट राइटर कार्यरत हैं। इन्हें देश-दुनिया, राजनीति के अलावा स्पोर्ट्स, हेल्थ, होम डेकोर, रिलेशनशिप, लाइफस्टाइल और एंटर्टेंमेंट जैसे टॉपिक्स पर लिखने का अनुभव है। इसके अलावा खाली समय में नेचर को एक्सप्लोर करना पसंद करती हैं। साथ ही म्यूजिक, थिएटर और किताबों में भी इनकी बहुत रुचि है।

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