निसंतान दंपति रात के 12 बजे करें मथुरा की राधा कुंड में स्नान, वर्ष भर में होगी संतान की प्राप्ति
मथुरा (Mathura) निसंतान दंपत्ति संतान प्राप्ति के लिए मथुरा के राधा कुंड में मध्य रात्रि के समय अगर स्नान करते हैं तो उन्हें वर्ष भर के अंदर संतान प्राप्ति का सुख प्राप्त होता है। यह मान्यता हमारे कई धार्मिक पुस्तकों में वर्णित है। बताया गया है अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami) के दिन मथुरा (Mathura) के राधारानी कुंड एवं श्यामकुंड में स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है। सबसे बड़ी मान्यता पुत्र प्राप्ति के लिए है। अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami) के दिन विशाल मेले का आयोजन किया जाता है जहां देश के कोने-कोने से लोग आते हैं।
क्या है मान्यता
मथुरा के राधा कुंड और श्याम कुंड में स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है। कहा जाता है कि अहोई अष्टमी के मध्यरात्रि पर जो निशान निःसंतान दंपत्ति हाथ पकड़ के इस कुंड तीन बार डुबकी लगाते हैं। उनके संतान प्राप्ति की मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। साथ ही पौठो का फल लाल कपड़े में बांधकर परंपरा है। अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami) 28 अक्टूबर गुरुवार मध्य रात्रि 11ः53 पर स्नान प्रारंभ होगा जो सुबह 4 बजे तक चलेगा।
क्या है का कुंड का महत्व
जानकारी के अनुसार पुराणों में वर्णित है कि भगवान श्री कृष्ण ने 4 वर्ष की उम्र में अपनी लीलाओं से राधा कुंड और श्याम कुंड का निर्माण किया था। वहीं कई जगह लेख प्राप्त होते हैं कि राधारानी ने अपने कंगन से कुंड का निर्माण किया था। वही कृष्णकुंड का निर्माण भगवान श्री कृष्ण ने अपनी बांसुरी से किया था।
अलग-अलग है जल
कहा तो यहां तक जाता है की दोनों ही कुंडों का जल अलग-अलग रंग का है। राधारानी के रंग के अनुसार ही राधाकुंड का जल श्वेत तथा भगवान जैसे श्याम वर्ण के हैं वैसे ही जल श्यामलता लिए हुए है। वही राधारानी का कुंड आयताकार है तो भगवान श्री कृष्ण का कुंड मुकुट के जैसा दिखाई देता है।
देश के कोने-कोने से पहुंचते हैं श्रद्धालु
अहोई अष्टमी के दिन मथुरा के कुंड में स्नान और भगवान के दर्शन का विशेष महत्व। ऐसे में देश के कोने कोने से लोग पहुंचकर कुंड में स्नान करते हैं। मेले में व्यवस्था बनाने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। तो वही कई मार्गों में वाहनो के आवागमन को प्रतिबंधित कर दिया गया है। कुंड के घाटों की व्यवस्था पहले ही दुरुस्त कर ली गई है।