चाणक्य नीति: ये 8 लोग होते हैं बहुत निर्दयी, भूलकर भी भरोसा न करे
आचार्य चाणक्य एक महान अर्थशास्त्री होने के साथ ही उन्हें नीतियों का ज्ञान था। अपनी नीतियों के बल पर ही उन्होंने मगध जैसे राज्य का तथा घनानंद जैसे क्रूर राजा को सत्ता से बेदखल कर दिया था। साथ ही इस सत्ता परिवर्तन के बाद उन्होंने एक सामान्य से चंद्रगुप्त को मगध का सम्राट बना दिया। आचार्य चाणक्य की नीतियां आज भी प्रासंगिक हैं। अगर उनकी नीतियों ध्यान से विचार किया जाए तो पता चलता है कि उन्हें भविष्य के समाज का भी ज्ञान था। चाणक्य का कहना है कि जीवन में व्यक्ति को 8 तरह के लोगों पर कभी भी दया नहीं करनी चाहिए। इन लोगों को आचार्य चाणक निर्दई बताते हैं।
कौन है वह 8 लोग
आचार्य चाणक्य के बताए के अनुसार राजा, यमराज, अग्नि, बालक, वेश्या, चोर, याचक और गांव का कांटा इन पर कभी भी दया नहीं करनी चाहिए। क्योंकि यह किसी पर दया करते भी नहीं है। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि चाहे आपके ऊपर कितना भी कष्ट क्यों ना हो यह 8 तरह के लोग कभी भी किसी भी व्यक्ति पर दया नहीं करते। इन्हें आचार्य चाणक्य दुष्ट व्यक्ति की उपमा से अलंकृत करते हैं।
सबसे विषैला होता है दुष्ट व्यक्ति
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि सर्प का विष उसके दांत में होता है, मधुमक्खी का विष उसके सिर पर होता है, वहीं बिच्छू का विष उसकी पूंछ में होता है। लेकिन आचार्य चाणक्य से अलग एक बात और कहते हैं जिसमें उन्होंने बताया है कि दुष्ट व्यक्ति के सभी अंगों में विष भरा होता है। तर्क देते हुए आचार्य चाणक्य कहते हैं कि दुर्जन व्यक्ति सदैव अपने बचाव के लिए अपने विष का ही उपयोग करता है। जो उसके दिमाग और पूरे शरीर में विष भरा होता है।