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Bhadrakaal : भद्राकाल में क्यों नहीं बांधी जाती राखी, ब्रह्मा जी ने दिया था श्राप
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Raksha Bandhan Shubh Muhurt: श्रावण मास (Sawan) की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाने वाला रक्षाबंधन (Raksha-Bandhan) का त्यौहार इस 11 अगस्त 2022 को दिन भर है। इसके बाद भी राखी बांधने का शुभ मुहूर्त (Rakhi Shubh Muhurt) 11 अगस्त को रात के 8:25 से शुरू होगा। बताया गया है कि 11 अगस्त को सुबह 8:50 से जब पूर्णिमा तिथि शुरू होते ही है उसी के साथ भद्राकाल (Bhadrakaal) भी लग रहा है। भद्रा काल का समापन 11 अगस्त को रात के 8:25 पर होगा। इसके बाद ही बहने राखी बांध पाएंगी। आखिर भद्राकाल में राखी न बांधने का क्या कारण हो सकता है? आइए इस संबंध में जानकारी लें।
रावण की बहन ने बांधी थी राखी
कई कथाओं में लेख मिलता है कि रावण की बहन ने रावण को भद्राकाल के समय राखी बांधी थी। भद्रा काल में राखी बांधने का परिणाम यह हुआ कि रावण का समूल नाश हो गया। तब से भद्रा काल के समय राखी नहीं बांधी जाती। वही किसी भी शुभ कार्य को करने के पहले इस भद्राकाल के संबंध में विचार अवश्य किया जाता है। क्योंकि कोई भी शुभ कार्य भद्राकाल में नहीं किया जाता।
ब्रह्मा जी ने दिया था श्राप
वेदों पुराणों में बताए अनुसार भद्रा कौन है? इसके बारे में जानकारी हासिल करना आवश्यक है। बताया जाता है भगवान शनिदेव की बहन का नाम भद्रा है। किसी कारण बस भगवान ब्रह्मा ने भद्रा से रुष्ट होकर श्राप दे दिया था। जिसमें ब्रह्मा जी ने कहा था कि अगर तुम्हारे भद्रा काल में कोई भी व्यक्ति शुभ कार्य करेगा उसे हानि और विनाश का सामना करना पड़ेगा। तब से लेकर आज तक भद्राकाल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते।
पवित्र बंधन है रक्षाबंधन
रक्षाबंधन का त्यौहार भाई बहन के पवित्र और शुभ मुहूर्त में मनाया जाने वाला त्यौहार है। भाई की लंबी उम्र, उसकी उन्नति तथा स्वस्थ जीवन की कामना करते हुए बहन भाई की कलाई पर राखी बनती है। यह पवित्र धागा रेशम और कच्चे सूत का भले होता है लेकिन इसकी शक्ति अटूट होती है। इतने शुभ कार्य को भद्रा काल में कैसे मनाया जा सकता है। इसलिए पूर्णिमा 11 अगस्त को अवश्य है लेकिन भद्राकाल होने की वजह से बहने अपने भाइयों की कलाई पर 11 अगस्त को रात के 8:00 बजकर 25 मिनट के बाद ही राखी बांधे।
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