Bel Patra Ki Utpatti: बेल की उत्पत्ति कैसे हुई और शिवजी को बेलपत्र क्यों प्रिय है, जानें रहस्य
Bel Patra Story: यह सभी को पता है कि बेलपत्र (Bel Patra) भगवान शिवजी (Lord Shiv) को बहुत पसंद है। मतलब शिव शंकर भगवान भोलेनाथ की पूजा में अगर बेलपत्र नहीं चढ़ाया गया तो वह पूजा अधूरी मानी जाती है। वैसे तो यहां तक कहा जाता है कि भगवान भोलेनाथ की पूजा में ज्यादा विधि-विधान की आवश्यकता नहीं होती है। अगर सच्चे मन से पूजा की जाय तो वह प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन इस साधारण पूजा में भी बेलपत्र अवश्य चढ़ाना चाहिए। आज हम जानेंगे कि बेलपत्र शिवजी को क्यों पसंद है।
कैसे हुई बेलपत्र की उत्पत्ति
Bel Patra Ki Utpatti: बेल के पेड़ की उत्पत्ति के सम्बंध में स्कंद पुराण में एक कथा बताई जाती है। कहा गया है कि एक बार माता पार्वती मंदार पर्वत पर ध्यान में लीन थी। इस दौरान उनके पसीने की कुछ बूंदें इस मंदार पर्वत पर गिर गई। माता पार्वती के इसी पसीने से बेल का पेड़ उग आया।
माता पार्वती का होता है निवास
Bel Patra Se Judi Manytayen: बेल के पेड़ को साक्षात माता पार्वती का स्वरूप माना जाता है। मान्यता है कि बेल के पेड़ की जड़ में में गिरिजा, तने में महेश्वरी, शाखा में दक्षायनी, पत्ती में पार्वती तथा पुष्प में गौरी जी का वास होता है। साथ ही बताया गया है कि माता लक्ष्मी का निवास हर पौधे में होता है।
भगवान भोलेनाथ होते हैं प्रसन्न
Bhagwan Shiv ko Bel Patra Kyu Chadhate Hain: कहा गया है कि जिस तरह भगवान श्री विष्णु जी की पूजा में अगर तुलसी का पत्ता न चढ़ाया जाय तो वह पूजा अधूरी मानी जाती है। ठीक इसी तरह भगवान भोलेनाथ की पूजा में बेलपत्र अवश्य चढ़ाना चाहिए। भोलेनाथ को बेलपत्र बहुत प्रिय है।
बहुत महत्वपूर्ण बेल का पेड़
Bel Patra ka Mahatva: बेलपत्र के सम्बंध में कहा गया है कि अगर श्रावण मास में बेल के पौधे के मूल भाग की पूजा की जाय उसमें जल चढ़ाया जाय तो सभी तीर्थों के दर्शन का पुण्य फल प्राप्त होता है।
कहा गया है कि बेलपत्र भगवान को चढ़ाने के बाद भी उसका महत्व कम नहीं होता। अगर आपको बेलपत्र नहीं मिला है ते आप भगवान को चढ़ाया हुआ बेलपत्र लेकर धो लें। इससे उसे पुनः चढ़ाया जा सकता है। इसमें कोई दोष नहीं है।