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सिंगरौली में स्मैक का कहर: युवा पीढ़ी नशे की चपेट में, पुलिस की कार्रवाई जारी
मध्य प्रदेश की ऊर्जाधानी सिंगरौली में युवाओं के बीच नशे का चलन एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। महानगरों की तरह अब छोटे शहरों में भी ड्रग्स का खतरा बढ़ रहा है। स्मैक, ब्राउन शुगर और अन्य नशीले पदार्थों की उपलब्धता और उपयोग तेजी से बढ़ रहा है, जो युवाओं के स्वास्थ्य और उनके भविष्य पर बुरा असर डाल रहा है।
पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, 1 जनवरी से 14 अक्टूबर तक सिंगरौली में स्मैक से जुड़े 16 मामले दर्ज किए गए हैं। इसमें 17 लाख 62 हजार रुपये की कीमत की स्मैक और अन्य नशीले पदार्थ जैसे 61 किलो गांजा और 170 बोतल कोरेक्स सिरप भी बरामद की गई हैं।
नशे की गिरफ्त में युवा और मानसिक स्वास्थ्य
सिंगरौली के जिला अस्पताल में मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. आशीष पांडे बताते हैं कि हर दिन उनके पास दो ऐसे मरीज आते हैं जो स्मैक की लत का शिकार होते हैं। जब इन मरीजों को समय पर नशा नहीं मिलता तो उनकी हालत बिगड़ने लगती है, जिसके चलते उनके परिजन उन्हें इलाज के लिए अस्पताल लाते हैं। डॉ. आशीष का कहना है कि यह आंकड़ा चिंता का विषय है क्योंकि जो लोग इलाज के लिए आ रहे हैं, वे केवल आइसबर्ग का एक हिस्सा हैं। कई लोग जो इस लत के शिकार हैं, वे कभी इलाज के लिए आते ही नहीं हैं।
सामाजिक जागरूकता से ही हो सकता है समाधान
पुलिस प्रशासन इस समस्या से निपटने के लिए लगातार कार्रवाई कर रहा है, लेकिन इसके बावजूद नशे की लत से पीड़ित लोगों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। एएसपी शिवकुमार वर्मा ने बताया कि नशे पर काबू पाने के लिए केवल कानूनी कार्रवाई काफी नहीं है। इसके लिए सामाजिक जागरूकता और सामुदायिक भागीदारी भी जरूरी है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे नशे के खिलाफ आवाज उठाएं और अपने परिवार और समाज को इससे बचाने में सहयोग करें।