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सिंगरौली: सरकारी स्वास्थ्य सिस्टम का काला सच, पहले भर्ती नहीं, निजी अस्पताल भेजा, मृत हुआ बच्चा तो ले गये जिला अस्पताल, डिग्गी में गया शव
Singrauli News: वाह-रे मध्य प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग। जहां जीवन देने के रूप में भगवान नियुक्त किये गये हैं। इन्हे सरकार की ओर से मोटी तनख्वाह दी जाती है। लेकिन सरकारी अस्पताल के इन भगवान को क्या हो गया। इन्हे तो केवल पैसा दिखता है। पैसा जहां से मिले जैसे मिले केवल पैसा चाहिए। कोई रोगी ठीक हे जाये अपनी बला से। अगर नहीं ठीक हुआ और मौत हो गई तो एम्बुलेंस तक नशीब नहीं होता। यह सरकारी अस्पताल के लिए कोई नई बात नही हैं।
जाने सिंगरौली का मामला
बीजपुर निवासी दिनेश अपनी पत्नी को प्रसव के लिए मंगलवार को जिला अस्पताल सिंगरौली लेकर पहुंचा। बीजपुर उप्र में आता है। लेकिन यह सिंगरौली से मात्र 50 किमी की दूरी पर है। ऐसे में दिनेश पत्नी को लेकर सिंगरौली पहुंचा।
अस्पताल में दलालों ने बढ़ाए हांथ
बताते हैं कि जैसे ही दिनेश पत्नी को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। वहां कार्यरत कर्मचारी रूपी डाक्टारां के दलालों ने दिनेश की ओर सहयोग का हांथ बढ़ा दिया। दिनेश को लगा कि यहां उसकी पत्नी का समुचित इलाज होगा। लेकिन यह भरोषा जल्दी ही टूट गया।
कहा प्रावेट अस्पताल ले जाओ
सरकारी अस्पतालां का हाल यह है कि यहां डाक्टर और कर्मचारी सिर्फ इसलिए आते है कि वह हाजिरी लगा सकें और काम के नाम पर डाक्टरां के निजी अस्पताल में रोगी भेज सकें। यही दिनेश के साथ भी हुआ। दिनेश को अस्पताल के लोगां ने कहा कि वह अगर डाक्टर सरिता शाह के अस्पताल में ले जाते हैं ते अच्छा इलाज मिलेगा। साथ में उसे और भी बहुत कुछ समझाया गया।
निजी अस्पताल पहुचते ही मची लूट
जैसे ही दिनेश निजी अस्पताल पहुंचा वहां कहा गया कि पहले 5 हजार रूपये जमा करो। किसी तरह दिनेश ने पैसे पूरे कर जमा किये। वहां जांच शुरू हुई। अल्ट्रासाउंड में पता चला कि बच्चा मृत है। अब दिनेश को वापस निजी अस्पताल से जिला अस्पताल भेजा गया। वहां मृत बच्चे का जन्म हुआ। जहां एक नवजात बच्चे के शव को ले जाने के एम्बुलेंस नही मिली। बच्चे के पिता अपनी गाड़ी की डिग्गी में डालकर घर ले गया।
कलेक्टर तक पहुंचा मामला
दिनेश ने इस पूरी मामले की शिकायत कलेक्टर सिंगरौली राजीव रंजन मीणा से की है। जहां कलेक्टर ने एसडीएम को जांच के आदेश दिये हैं। अब देखना है कि इस मामले में क्या होता है।