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एमपी के पशु पालकों के लिए जरूरी खबर, घर पर पहुंचकर पशुओं का इलाज करेंगे चिकित्सक
एमपी सिंगरौली जिले के पशुपालकों के लिए अच्छी खबर है। मवेशियों का इलाज कराने अब उन्हें भटकने की आवश्यकता नहीं है। पशुपालकों के घर पर ही वेटरनरी चिकित्सक पहुंचेंगे और उनका समुचित इलाज करेंगे। इसके लिए पशुपालकों को मवेशियों का इलाज कराने के लिए केवल एक नंबर डायल करना पड़ेगा। जिसके बाद चिकित्सक एम्बुलेंस के साथ अपने दरवाजे पर हाजिर हो जाएंगे। केन्द्र सरकार की एम्बुलेंस सेवा योजना के तहत यह व्यवस्था एक अप्रैल से प्रारंभ होगी।
पशुओं के इलाज हेतु हेल्प लाइन नंबर जारी
पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि एम्बुलेंस सेवा का लाभ लेने के लिए पशुपालकों के लिए हेल्प लाइन नंबर जारी कर दिया गया है, जिसका नंबर 1962 है। यह नंबर केन्द्रीयकृत व्यवस्था के तहत भोपाल में रिसीव किया जाएगा। जहां से यहां के चिकित्सकों को विवरण उपलब्ध कराने के साथ ही उनको मौके पर पशुओं के इलाज के लिए भेज दिया जाएगा। एम्बुलेंस में सभी आवश्यक दवाइयां व उपकरण मौजूद रहेंगे। इसके साथ ही चिकित्सक के साथ स्टॉफ भी रहेगा। जिले के तीनों विकासखंड में दो-दो एम्बुलेंस संचालित करने की योजना है।
चिकित्सकों की कमी बनेगी रोड़ा
इस योजना से पशुपालकों को काफी राहत मिलेगी। किंतु अधिकारियों का कहना है कि चिकित्सकों की कमी इसमें रोड़ा बन सकती है। जिले में स्वीकृत 20 पदों में केवल 6 चिकित्सक ही पदस्थ हैं। जिनमें से दो महिला चिकित्सक लंबे समय से मातृत्व अवकाश पर हैं। ऐसे में पशुपालकों को समय पर यह सेवा दे पाना थोड़ा मुश्किल कार्य रहेगा। जिले में 15 पशु चिकित्सालय, 21 पशु औषधालय, 10 पशु उप केन्द्र व एक सामान्य केन्द्र है।
एम्बुलेंस सेवा योजना शुल्क
बीमार पशुओं का उपचार कराने के लिए लोगों को 1962 नंबर डायल करना होगा। जिसके बाद एम्बुलेंस सेवा आपके घर पर पहुंच जाएगी। इस दौरान पशुपालकों को 150 रुपए का भुगतान करना होगा। यह राशि केवल इसलिए निर्धारित की गई है कि कोई सेवा का अनुचित प्रयोग न कर सके। निःशुल्क सेवा होने पर इसे बेवजह परेशान भी किया जा सकता है। चिकित्सक सहित टीम के मौके पर पहुंचने पर यह शुल्क अदा करना होगा।
इनका कहना है
इस संबंध में संचालक पशु चिकित्सा विभाग डॉ. एमपी गौतम के मुताबिक केन्द्र सरकार की योजना के तहत एम्बुलेंस सेवा 1 अप्रैल से प्रारंभ की जानी है। जिसके लिए तैयारी शुरू कर दी गई है। योजना को कुछ वर्ष पूर्व ही प्रारंभ किया जाना था किंतु अपरिहार्य कारणों से यह शासन स्तर पर ही लंबित हो गया था।