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एमपी के सीधी में पत्रकार से बदसलूकी का मामला: क्या आरोपी पुलिसवालों को सिर्फ लाइन अटैच करना काफी है?
Misbehavior with Sidhi's journalist: मध्य प्रदेश के सीधी जिले की पुलिस की पूरे देश में किरकिरी हो रही है. सत्यमेव जयते की शपथ लेने वाले जब झूठ का पुतला बन जाएं, तो आम लोगों का शोषित होना तय होता है. 2 और 3 अप्रैल के दिन सीधी पुलिस ने ना सिर्फ संविधान की धज्जियां उड़ा दीं बल्कि हाईकोर्ट के आदेश, देश के कानून और मानवाधिकार को तार-तार कर दिया। आरोप है कि सीधी विधायक के हुक्म पर पत्रकारों और रंगमंच के कलाकारों के साथ पुलिस ने बर्बरता की. उन्हें किसी अपराधियों की तरह थाने में लाकर बुरी तरह पीटा गया, भद्दी-भद्दी गालियां दी गईं और जब इतने में भी पुलिस वालों को सुकून नहीं मिला तो जर्नलिस्ट्स और अन्य स्टेज परफोर्मिंग आर्टिस्ट्स के कपडे उतरवाकर उनकी फोटो खींची गई और उन फोटोग्राफ्स को सोशल मीडिया में अपलोड कर दिया गया.
पहले तो इस मामले को दबाने में सीधी पुलिस प्रशासन ने भरसक प्रयास किए, लेकिन उन्हें मालूम नहीं था कि कलम में पुलिसिया डंडे से ज़्यादा ताकत होती है. सीधी पुलिस की टेढ़ी करतूत जनता के सामने आ गई. इस घटना के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2 आरोपी पुलिस इंस्पेक्टर को लाइन अटैच कर दिया। लेकिन पीड़ितों ने जो सहा, उस लिहाज से यह इंसाफ कतई नहीं कहा जा सकता।
पूरा मामला समझिये
पत्रकारों और रंगमंच कलाकरों से साथ हुई ज्यादती से ठीक 3 दिन पहले, सीधी पुलिस ने नीरज कुंदेर (Neeraj Kunder Sidhi) नामक आर्टिस्ट को गिरफ्तार किया था. नीरज कुंदेर पेशे से एक स्टेज परफार्मिंग आर्टिस्ट हैं. कलाकार हैं. नुक्क्ड़ नाटक, थिएटर कर लोगों का न सिर्फ मनोरंजन करते हैं बल्कि सामाजिक मुद्दों पर खुलकर अपनी बात जनता के सामने रखते हैं. नीरज को पुलिस ने इस लिए गिरफ्तार किया क्योंकि उनपर सीधी विधायक केदारनाथ शुक्ला के खिलाफ फेसबुक में फेक आईडी बनाकर अफवाह फ़ैलाने के आरोप लगे थे.
ऐसा कहा जाता है कि बीजेपी विधायक केदारनाथ शुक्ला का सीधी पुलिस और प्रशासन में दबदबा है. उनके कहने से पहले सिर्फ इशारा समझकर पुलिस जी हुजूरी करती है. इसी लिए सिर्फ आरोप के आधार पर कलाकार को थाने ले जाया गया.
"जब नीरज कुंदेर जैसे आर्टिस्ट को पुलिस उठा ले गई, तो उनके साथ काम करने वाले अन्य कलाकारों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया, 2 अप्रैल सीधी सिटी कोतवाली के सामने कुछ कलाकर प्रदर्शन करने लगे. इतने में सीधी जिले के न्यूज नेशन के स्ट्रिंगर और बघेली न्यूज़ यूट्यूब चैनल चलाने वाले कनिष्क तिवारी अपने कैमरामैन आदित्य सिंह भदौरया के साथ कवरेज के लिए गए थे. तभी वहां सिटी कोतवाली प्रभारी अनूप सोनी अपने पुलिस वालों के साथ गए और पत्रकार को धक्के मार-मार कर थाने के अंदर लेकर चले गए. साथ में उनके कैमरामैन और अन्य प्रदर्शन कर रहे कलाकारों को भी पुलिस थाने उठा लाई."
पुलिस और विधायक के खिलाफ खबर चलाओगे तो चड्डी में शहर घुमाएंगे
- जब ANI ने TI अनूप सोनी से पूछा- आपने कपडे क्यों उतरवाए तो उन्होंने कहा ताकि कोई फांसी न लगा ले, तो पत्रकार ने पूछा फिर चड्डी के इलास्टिक से भी तो फांसी लगाई जा सकती है. तो उन्होंने बड़ी बेशर्मी से कहा हां गलती हो गई इनकी चड्डी भी उतार देनी थी.
"पत्रकार कनिष्क तिवारी को जब पुलिस जबरन थाने ले जा रही थी तब उन्होंने अपनी पहचान बताई, लेकिन थानेदार ने ये जानते हुए भी पत्रकार के साथ बदतमीजी की. कनिष्क ने बताया कि सिटी कोतवाली TI अनूप सोनी ने उनसे कहा "पुलिस और विधायक के खिलाफ ख़बर चलाते हो...तुम लोगों को ऐसे ही चड्डी में पूरा शहर घुमाऊंगा तब पता चलेगा' इतना ही नहीं पुलिस वालों ने पत्रकार, उनके कैमरा पर्सन, और अन्य कलाकारों को खूब भद्दी-भद्दी गालियां बक कर उन्हें बेरहमी से पीटा और बाद में कपडे उतरवाकर लॉकअप में बंद कर दिया। पूरी रात सभी लोग थाने में नग्न अवस्था में दर्द से कराहते हुए पड़े रहे."
पुलिस ने कुल 10 लोगों को गिरफ्तार किया था जिनपर धारा 151, शांति भंग करने और आम रास्ता अवरुद्ध करने का मामला दर्ज किया गया था.
ऐसे पुलिस वालों को सिर्फ लाइन अटैच करना काफी है?
पत्रकार और कलाकारों के साथ ऐसा जुल्म करने वाले पुलिसवालों को सीएम शिवराज ने लाइन अटैच किया है. कोई भी पुलिसवाला जब कानून हाथ में लेता है तो उसे सज़ा के नामपर सिर्फ लाइन अटैच किया जाता है. कुछ दिन बाद वो वापस किसी थाने में आकर ड्यूटी करने लगता है, बेकसूरों को प्रताड़ित करने का सिलसिला कभी रुकता नहीं है. पत्रकारों और कलाकारों के साथ ऐसा सुलूख करने वाले दो थाना प्रभारियों को लाइन अटैच करने की कार्रवाई कहीं से भी न्यायपूर्ण नहीं लगती।
इन पुलिसवालों को लाइन अटैच किया गया है
पत्रकारों को थाने लाने वाले TI अनूप सोनी बार-बार धमकी दे रहे कि विधायक के खिलाफ खबर चलाओगे तो ऐसा ही होगा, तुम्हे मार डालेंगे, जेल भेज देंगे, थाने ले जाने के बाद अभिषेक सिंह परिहार टीआई अमिलिया ने पत्रकार और कलाकारों को नंगा करवाया और थाने में उनकी रैली निकलवाई, इसके बाद अभिषेक सिंह परिहार ने उनकी फोटो व्हाट्सएप ग्रुप और सोशल मीडिया में अपलोड कर दी. मानवाधिकार का हनन और देश के संविधान के चौथे स्तम्भ को लज्जित करने वाले आरोपी पुलिस वालों को लाइन अटैच किया गया है।
पीड़ित पत्रकार क्या चाहता है
जिस पत्रकार के साथ पुलिस ने ऐसी घटिया हरकत को अंजाम दिया है, वो चाहते हैं कि न्याय बराबरी का मिले। इस घटना कि मजिस्ट्रिरल जांच हो, क्योंकि पुलिस वाले पुलिस की जांच करेंगे तो क्या होगा ये सबको मालूम है. पत्रकार कनिष्क का कहना है कि - जैसे मेरे कपडे उतरवाकर मेरी बेज्जती की गई, मुझे समाज के सामने लज्जित किया गया वैसे मेरे साथ ऐसा करने वाले पुलिस वालों की वर्दी उतरनी चाहिए मतलब उन्हें नौकरी से निष्काषित किया जाना चाहिए तभी सही न्याय कहलाएगा।
बड़े नेताओं और पत्रकारों ने इस घटना पर सवाल उठाए हैं
सीधी में हुए इस पुलिसिया कांड की खबर पूरे देश में फ़ैल चुकी है. देश के बड़े-बड़े नेता और पत्रकार, पुलिस, प्रशासन और एमपी सरकार के खिलाफ बातें लिख रहे हैं. कांग्रेस नेता राहुल गांधी, एमपी पूर्व सीएम कमलनाथ, कांग्रेस नेता नकुलनाथ, सहित कई नेताओं ने इस मामले में ट्वीट कर विरोध जताया है. वहीं NDTV के एडिटर इन चीफ रविश कुमार ने भी सरकार पर तंज कसा है.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा- लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ का चीर हरण
लॉकअप में लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का चीरहरण!
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) April 8, 2022
या तो सरकार की गोद में बैठकर उनके गुणगान गाओ, या जेल के चक्कर काटो।
'नए भारत' की सरकार, सच से डरती है। pic.twitter.com/HpterG5Zbv
पूर्व सीएम कमलनाथ ने कार्रवाई को नाकाफी बताया
इस पूरे मामले में दोषियों पर जो कार्यवाही की गयी है , वो नाकाफ़ी है , ज़िम्मेदारों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही हो।
— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) April 8, 2022
शिवराज सरकार में लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के साथ यह व्यवहार बेहद निंदनीय है।
कांग्रेस नेता अजय सिंह राहुल ने भी विरोध किया
सीधी में एक पत्रकार के कपड़े उतरवाकर उसके फोटो वायरल कर उसके साथ जो अमर्यादित व्यवहार किया गया उससे पुलिस का वास्तविक और गैरजिम्मेदाराना चेहरा सामने आया है ।पुलिस का यह व्यवहार न केवल पुलिसिया आतंक को दर्शाता है बल्कि भाजपा सरकार के मीडिया के प्रति सोच को भी प्रदर्शित करता है। pic.twitter.com/vsZWi56KAG
— Ajay Singh (@ASinghINC) April 8, 2022
NDTV के एडिटर रविश कुमार ने कहा- पत्रकारों को नंगा किया जा रहा है एक दिन पाठकों को भी किया जाएगा
पुलिस की गुंडई अब बंद होनी चाहिए
पुलिस का मौलिक कर्तव्य क्या है? नेताओं के हुक्म पर जी हुजूरी करना या लॉ एन्ड आर्डर कंट्रोल करना? किसी से तमीज से पेश आना ट्रेनिंग में नहीं सिखाया जाता या बदतमीजी करना बाई डिफाल्ट होता है. बिना किसी को मां-बहन की गाली दिए इनका दिन नहीं गुजरता, बिना किसी को पीटे इनकी कार्रवाई नहीं पूरी होती। बात पुलिस के एक्शन लेने की नहीं है. बात है मर्यादा की, मानवाधिकार की, और इंसाफ की. ऐसा नहीं है कि सभी पुलिस वाले एक ही थाली चट्टे-बट्टे हैं कुछ अच्छे हैं लेकिन उन्हें ढूढ़ना ऐसा है जैसे चावल की बोरी से शक्कर अलग करना।